
पर्यटन विभाग ने 1 साल बाद सांभर की सुथ ली
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। सांभर में पर्यटन महोत्सव शुरू होने के एन वक्त पर विभाग की ओर से पूरे 1 साल बाद फिर से खुद की डंप पड़ी संपत्तियों की सुध ली तथा पर्यटको को आकर्षित करने के लिए प्रमुख चिन्हित जगहों पर चित्रकारी भी कार्रवाई। नगरपालिका ने सांभर शहर के मध्य स्थित नेहरू पार्क की खूबसूरती को निखारने के बजाय नरैना रोड पर स्थित डंपिंग यार्ड की दीवारों पर खूबसूरत चित्रकारी मंडवा दी। पर्यटन विभाग की ओर से सांभर परिक्षेत्र में बनवाई गई अनेक संपत्तियों का रंग रोशन और साफ-सफाई का काम करवाया। सांभर से फुलेरा तक 7 किलोमीटर की दूरी पर विगत एक साल से गहरे गड्ढे जिनको भरवाने के लिए कभी पीडब्ल्यूडी और न ही नगरपालिका की ओर से लाख मिन्नतें करने के बावजूद भी ठीक नहीं करवाया गया, लेकिन जैसे ही महोत्सव की शुरुआत होने को आई तो मंत्रियों के आगमन की सूचना पर आनंद-फानन में पेचवर्क का काम करवा कर सड़कों पर वाहनों को चलने लायक स्थिति में किया। सरकार रोजगार देने के लिए कटिबद्ध है लेकिन महोत्सव की आड़ में प्रशासन का डंडा फुटकर और ठेले थड़ी वालों पर भी चला, जो यहां पर अपना व्यवसाय कर परिवार का पालन पोषण कर रहे थे, बेशक यह अतिक्रमण की परिभाषा में आता हो लेकिन यह लोग तो पहले से ही यहां अपना धंधा कर रहे थे तो स्थानीय पालिका प्रशासन के संज्ञान में क्यों नहीं आया और खुद एसडीएम ने इसकी जिम्मेदारी हटाने की उठाई। इन लोगों का कहना था कि पर्यटन महोत्सव तो पूरा झील परिक्षेत्र में हो रहा है, सांभर शहर में इसका कोई लेना-देना नहीं है तो फिर यहां से फिर इन्हें हटाने का औचित्य भी क्या था? यहां तक की जिन निराश्रित पशुओं से आए दिन लोग चोटिल हो रहे थे, वाहन चालकों को परेशानी हो रही थी। अनेक दफा यहां के लोगों ने पशुओं को पकड़वाने के लिए पालिका से लिखित में और मौखिक अनुरोध किया, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई और जैसे ही बड़े अधिकारियों का या यूं कहे सरकार का दबाव पड़ा तो पालिका ने एक दो रोज में ही 30 से अधिक निराश्रित पशुओं को पकड़कर उन्हें गौशाला भिजवाया। अब देखना यह है कि पर्यटन महोत्सव की आड़ में ही सही जनता को जो थोड़ी बहुत राहत मिली है, क्या इसके बाद भी मिल पाएगी यह भी अब लोगों में चर्चा चल रही है।