शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। इसे विडंबना कहें या समय की मार की महाभारत काल की अति प्राचीन ऐतिहासिक सांभर झील नगरी में जहां अंग्रेजी हुकूमत व राजा महाराजाओं ने अपना वर्चस्व स्थापित किया वह आज अपनी लगातार अवनति की ओर है। इस आंतरिक मर्म और पीड़ा को आज तक किसी भी सरकार ने नहीं समझा और न ही इसके वास्तविक कारणों को सुलझाने का प्रयास किया। आजादी के बाद से अपवाद को छोड़कर कथित लोकल राजनीति का चोला ओढ़े नेताओं ने जरूर अपने परिवार का ही भला करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं सोचा और सांभर का सर्वांगीण विकास करने के बजाय उसे गर्त में जरूर धकेल दिया। मंत्री और मुख्यमंत्री तक खुद की अप्रोच रखने वाले लोग केवल अपने खास उन चंद लोगों को जो उनकी पदचंपि करने में माहिर होते हैं को लाभ देने तक ही सीमित रहे। सांभर नगरी में जब डेढ़ दशक पहले दिल्ली 6 फिल्म की शूटिंग से अचानक सुर्खियों में आई तो उसके बाद से लगातार बॉलीवुड में यह पसंदीदा शहर बनता चला गया। बॉलीवुड फिल्मकारों के लिए सांभर का ठिकाना ऐसा बना की अनेक मशहूर फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला जब शुरू हुआ तो लगा सांभर के दिन लौटने लगे हैं, लेकिन इन फिल्मकारों को न तो सरकार की ओर से कोई तवज्जो दी गई और नहीं राजधानी के सन्निकट होने के बावजूद इस पर्यटन नगरी सांभर को फिल्म शूटिंग के लिए बढ़ावा देने हेतु कोई कदम उठाए गए। फिल्म निर्माताओं की ओर से ही अपने स्तर पर शासन और प्रशासन को मैनेज कर शूटिंग करने आते हैं, और जितने समय तक यहां रहते हैं तब तक जरूर लोकल लोगों को कुछ समय के लिए रोजगार भी मिल जाता है, और जबरदस्त हलचल होने से लोग उल्लासित भी रहते हैं। सांभर शहर को शूटिंग के लिए इसलिए खास माना जाता है कि यहां की प्राचीन धरोहर, पुरानी इमारतें और यहां की बसावट आज भी पुरानी सभ्यता व संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं जो अनेक फिल्मों की शूटिंग के लिए उन्हें पसंद किया जाता है। बता दें कि यहां पर आमिर खान की पीके, रामलीला, गुजराती फिल्म काई पोचे, के अलावा अनेक धारावाहिक, विज्ञापनों की झील परिक्षेत्र व प्रॉपर शहर में सैकड़ो तरह की शूटिंग हो चुकी है। राजस्व की प्राप्ति का बहुत बड़ा जरिया बॉलीवुड बनने को तैयार है लेकिन सरकार तक बात पहुंचाने के लिए लोकल नेताओं का अंदरुनी रूप से कोई रुझान नहीं होने के कारण इसकी बर्बादी का मुख्य कारण भी माना जा रहा है। यहां रविवार को भी जब साउथ मूवी फिल्म के अनेक जगहों पर शॉट फिल्माए गए तो सूनी पड़ी नगरी में एकाएक हलचल देखने को मिली। सकारात्मक सोच के साथ गंदी राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता का परिचय देते हुए यदि राजनीतिक दलों से जुड़े लोग सरकार पर दवाब बनाने में कामयाब हो जाए तो मूलभूत सुविधाओं को तरसती सांभर की जनता का भी भला हो जाएगा और पोराणिक नगरी का वर्चस्व भी लौट सकेगा जिसका इतिहास अनेक धार्मिक ग्रंथो में आज भी वर्णित है।