26 जनवरी 2025 गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत
लेखक : वेदव्यास
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार हैं
www.daylife.page
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
नूतन और पुरातन के संघर्ष में
अधुनातन का अर्थ बताने जा रहे।।
इतिहासों में अमिट नहीं जो हो सके
दो पल को जो सुख की नींद न सो सके
ऐसे पीड़ित जनमानों के वास्ते
नए देश का सपना लाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
सदियों से जो भटक रहे हैं भीड़ में
कुंठा से जो गले जा रहे नीड़ में
ऐसे भूखे भगवानों के वास्ते
शस्य श्यामला धरा बनाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
चिंतन के बोझे से जो लाचार हैं
मानवता के लिए सदा जो भार हैं
ऐसे बोझिल विद्वानों के वास्ते
परिवर्तन के शंख बजाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
तोड़ रहे जो फूलों के आकाश को
मोड़ रहे जीवित रहने की प्यास को
ऐसे बौने दिनमानों के वास्ते
किरणों का परिधान बनाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
देख नहीं पाते जो नए प्रभात को
डरते हैं जो अंधकार में रात को
ऐसे लाखों इंसानों के वास्ते
आजादी का मंत्र सुनाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
पत्थर पर अंकित करवाते नाम को
खोज रहे जो वन-वन चारों धाम को
ऐसे भोले परवानों के वास्ते
लोकायन का परिचय देने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
नूतन और पुरातन के संघर्ष में
अधुनातन का अर्थ बताने जा रहे।।
(लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)