देवयानी सरोवर में पानी लाने की योजना 12 साल बाद भी नहीं हो सकी साकार

सांभर सेवा समिति के सचिव पवन मोदी ने देवयानी विकास के लिए दिया था प्रस्ताव
शैलेश माथुर
की रिपोर्ट
www.daylifenews.in
सांभरझील। संरक्षित स्मारक देवयानी कुण्ड में जल प्रवाह, संरक्षण एवं विकास के लिए तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव अदिती मेहता द्वारा दिए गए निर्देशों की पालना 12 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। इसके अभाव में देवयानी सरोवर परिक्षेत्र के वास्तविक सौन्दर्य पर खतरा मण्डराता नजर आ रहा है। हालांकि पिछली सरकारों की ओर से इसके जीर्णोद्धार एवं रंग रोशन के लिए अब तक करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन सरोवर में जल के स्थाई ठहराव या पानी से भरे जाने के लिए न तो पूर्ववर्ती सरकार के पास कोई योजना थी और न ही वर्तमान में कोई प्लानिंग तैयार की जा रही है।

देवयानी कुण्ड को पानी से लबालब भरने की तकनीकी अफसरों के बस की बात तो पहले भी नहीं थी और आज भी ऐसी कोई कवायद नजर नहीं आ रही है। अलबत्ता देवयानी सरोवर जिसे तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है, केवल बारिश व बहाव क्षेत्र से बहकर आने वाले पानी पर ही डिपेंड है। धार्मिक तीर्थ स्थल की हटेगी के प्रति जितना दोष यहां के नकारा सिस्टम का है, उससे कहीं चार गुना ज्यादा यहां के बकलोजी करने वाले दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं का है। बता दें कि देवयानी सरोवर से सिवानिया मोड की तरफ जाने वाली सड़क पर लगभग 200-250 मीटर की पक्की नाली (केनाल) के अग्रिम विस्तार के लिए लगभग 1.75 से 2 किलोमीटर तक्र की पक्की नाली का निर्माण करवाने तथा उक्त वर्णित कुल दूरी से लगभग 400 से 500 मीटर की दूरी नगरपालिका क्षेत्र में आती है के निर्माण के लिए स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन निदेशक ताराचन्द मीणा ने खुद ने मौके पर इसकी सहमति दी थी।

शेष पक्की नाली निर्माण जो कि ग्राम नोरंगपुरा जो कि पंचायत समिति क्षेत्र में सम्मिलित है के निर्माण के लिए मनरेगा के तत्कालीन प्रभारी रामावतार मीणा एवं सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियन्ता आरके सोलंकी द्वारा उक्त कार्य के लिए ‘सहमति दी गई थी। काबिले गौर यह भी है कि उक्त पक्की नाली की समुचित उपयोगिता हेतु अधीक्षण अभियन्ता सिंचाई विभाग एवं उस वक्त मौके पर मौजूद अन्य अधिकारियों, प्रतिनिधियों ने सिवांनिया मोड पर एक रोड कलवट की आवश्यकता महसूस की थी, लेकिन इस कार्य को करने से पहले रोड कलवट के लेवल लेकर दिए जाने के लिए भी सहमति तो बनी लेकिन कागजों तक सिमट कर रह गई।

यह बताना भी जरूरी है कि देवयानी सरोवर से पुरानी त्योद सड़क की तरफ खुदी हुई कच्ची नाली को पक्की करने के लिए मनरेगा में नया प्रस्ताव लेकर कार्य करवाए जाने हेतु अतिरिक्त मुख्य सचिव मेहता की फोलोअप मीटिंग में तत्कालीन प्रभारी अधिकारी रामावतार मीणा ने भी इसके लिए भी सहमति दी थी, साथ ही उक्त कार्य के लिए सिंचाई विभांग के अधीक्षण अभियन्ता सोलंकी द्वारा इससे पहले सांभर साल्ट लिमिटेड से अनापत्ति लेकर व अन्य महत्पूर्ण तथ्य जुटाने का दम्भ भरा था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से योजना का जरूर दम निकल गया है। यह गौर लायक है कि इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए सांभर उपखण्ड अधिकारी एवं सांभर सेवा समिति के पूर्व सचिव व वर्तमान भाजपा मंडल अध्यक्ष पवन कुमार मोदी की ओर से देवयानी विकास के लिए एक नई समिति का गठन करने के लिए लिखित प्रस्ताव भी दिया गया था जिस पर खुद तत्कालीन सचिव ने इसके लिए सहमति प्रदान की थी।

तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी सुमन पंवार ने पत्रांक/संस्था/13/662 दिनांक 26 जून 2013 को मौका निरीक्षण उपरान्त देवयानी सरोवर पर जल प्रवाह एवं विकास के लिए निम्न कार्य प्राथमिकता पूर्वक करवाना जाना प्रस्तावित किया था। सांभर नावां मुख्य सड़क स्टेट हाईवे पर देवयानी सरोवर से लगभग 200 मीटर आगे से सिवांनिया मोड तक नााली (कैनाल) कार्य। देवयानी सरोवर से सांभर नावां, वाया त्योद पुरानी सड़क के नजदीक नाली निर्माण कार्य। पुरानी मोरी/पाल से पानी आने हेतु अपेक्षित उपाय। देवयानी एवं शर्मिष्ठा सरोवर के सम्पूर्ण निरन्तर विकास हेतु एक देवयानी विकास प्राधिकरण का गठन सहित अनेक प्रस्ताव तैयार कर पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक को भिजवाया गया था। करीब 12 साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी आज तक इस योजना को साकार करवाए जाने के लिए किसी भी स्तर से कोई प्रयास नहीं होना बेहद ही चिन्ता का विषय है।

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