
डीएलबी के आदेश को भी पालिका ने किया दरकिनार
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। कार्य में पारदर्शिता और स्पष्टता के साथ कार्य करने हेतु भले ही सरकार कितने भी आदेश जारी कर दें, लेकिन इसकी निचले स्तर के अधिकारी पालन नहीं कर आदेश को ही चुनौती दे रहे हैं। अधिनस्थ अधिकारियों को सरकार के आदेश की परवाह है और न ही विभाग के उच्च अधिकारियों का कोई खौफ। स्थानीय निकाय विभाग, राजस्थान के निदेशक एवं पदेन सचिव की हैसियत से दीपक नंदी ने 14 दिसंबर 2020 को एक आदेश जारी नगरपालिकाओं आदेश देते हुए लिखा था कि “प्रायः देखा गया है कि राज्य के नगरीय निकायों से निदेशालय में प्रेषित पत्रावलियों से संबंधित अधिकारी/कर्मचारी द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुत की गई टिप्पणी/नोट/प्रमाणिकरण/पत्रों एवं अन्य दस्तावेजों पर केवल हस्ताक्षर अंकित होते है, पूरा नाम, पदनाम व दिनांक अंकित नहीं होते है, जो कि राजकीय कर्त्तव्यों के निर्वहन के प्रति उदासीनता प्रकट करता है एवं राज्य सरकार द्वारा जारी परिपत्र प्रसु/अनु.-1/2012 दिनांक 27.06.2019 एवं समसंख्यक परिपत्र दिनांक 30.03.2012, 21.02.2013, 24.05.2013 एवं 18.03.2016 की अवहेलना की श्रेणी में आता है”। इसलिए उपरोक्त तथ्यों के परीपेक्ष में एतत्द्वारा राज्य के नगरीय निकायों को निर्देशित किया जाता है, कि भविष्य में निदेशालय व अन्य विभागों को पत्राचार करते समय की गई टिप्पणी/नोट/प्रमाणिकरण/पत्रों व अन्य दस्तावेजों पर पूरा नाम, पदनाम व दिनांक अवश्य रूप से अंकित किये जाने की सुनिश्चितता की जाए।