वन्यजीवों एवं पर्यावरण बचाने वाला योद्धा भंवरलाल भादू

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थार रेगिस्तान में लगातार घट रहे वन्यजीवों को बचाने एवं पर्यावरण संरक्षण की मुहिम जन जन तक पहुंचा कर मिसाल बन चुके हैं बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना तहसील के छोटे से गाँव मिठडा खुर्द के निवासी भंवरलाल भादू। वह पिछले डेढ़ दशक से अब तक एक हजार से ज्यादा वन्यजीवों को रेस्क्यू करवा चुके हैं और क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। यही नहीं श्री भादू पूरे क्षेत्र में घायल वन्यजीवों को वन विभाग एवं वन्यजीव संस्थाओं द्वारा संचालित रेस्क्यू सेंटरों में भिजवाकर उनका उपचार करवा चुके हैं। वन्यजीवों को बचाने के लिए वे दिन- रात प्रयासरत रहते हैं।
श्री भादू बीते बरसों में कई बार सम्मानित भी किए गये हैं।

वन्यजीवों को बचाने एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर सर्वप्रथम उन्हें महाराजा जोधपुर माननीय श्री गजसिंह जी ने जोधपुर में सम्मानित किया है। इसके अलावा उनको पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ग्रीन वारीयर्स अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। जिला स्तर पर वह कई बार जिला कलेक्टर द्वारा व वन मंत्री राजस्थान द्वारा, अखिल भारतीय विश्नोई महासभा व संभागीय आयुक्त तथा एस पी द्वारा भी सम्मानित हो चुके हैं।
उनके अथक प्रयासों का परिणाम है कि क्षेत्र में वन्य जीवों के शिकार प्रकरणों में भारी कमी आई है। गौरतलब है कि देश के पश्चिम राजस्थान में खासकर बाड़मेर तथा जैसलमेर सहित कई इलाकों में शिकारी गिरोह सक्रिय थे। श्री भंवरलाल भादू ने संवेदनशील क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को वन्यजीवों को बचाने की मुहिम चलाकर वन्य जीव संरक्षण अभियान से जुडने के लिए प्रेरित किया। यही कारण रहा कि सजगता व जागरूकता के जरिये वन्यजीवों को बचाने की मुहिम के फलस्वरूप क्षेत्र में शिकारी पकड़े गए। हाथीतला, थुंबली,बहुचर्चित लीलसर,साथ ही सिणधरी , शिव, चौहटन,धोरीमन्ना, बालोतरा, सिवाना, बायतु, बाड़मेर जैसलमेर और जालोर वन रेंज में कई दफा शिकारियो को वन विभाग के साथ मिलकर गिरफ्तार करवाया और सलाखों के पीछे पहुंचाया। यही वजह रही की शिकारियो में भय पैदा हुआ और शिकार की घटनाओं में भारी कमी आई। इस बारे में भंवरलाल भादू बताते हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों को बचाने का ही है। इसके लिए वह पूर्णरूपेण समर्पित हैं। कहीं से भी उन्हें घटना की सूचना मिलती है, वह तुरंत मौके पर पहुचने का प्रयास करते हैं और स्थानीय वन अधिकारियों का इस अभियान में हर संभव सहयोग लेने का प्रयास करते हैं।

उनकी माने तो क्षेत्र में चिंकारा प्रजाति का लगातार कम होना बेहद चिंतनीय है। थार रेगिस्तान में झुंडों में विचरण करने वाले चिंकारा प्रजाति दिन ब दिन कम होती जा रही है । इसका अहम कारण इनके विचरण क्षेत्रों में पेड़ों की अंधाधुंध हो रही कटाई व ओरण गोचर पर हो रहा अतिक्रमण है। उसकी वजह से वन्यजीवों के आशियाने उजड़ रहे हैं जो चिंतनीय है। इस बाबत आमजन को जागरूक रहकर इन जीवों को संरक्षण देने की बहुत जरूरत है।

भंवरलाल भादू लगातार क्षेत्र में सरकारी विद्यालयों व गांवों में, मंदिरों में व घर घर पौधे लगाओ जीवन बचाओ अभियान के तहत पौधारोपण कार्यक्रम चलाकर पारिवारिक वानिकी अवधारणा को आमजन से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं तथा पर्यावरण बचाने हेतु जन जन तक चेतना जगाने का अभियान चला रहे हैं। उनके इस प्रयास की क्षेत्र में भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)

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