
लेखक : ज्ञानेन्द्र रावत
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।
www.daylifenews.in
देश इस समय भयानक गर्मी की चपेट में हैं। इसके चलते आने वाले दिनों में देश में भीषण लू, तूफान और बिजली गिरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। हकीकत यह है कि देश में आज 71 फीसदी लोगों ने पिछले एक साल के दौरान भीषण लू का सामना किया है। येल प्रोग्राम आन क्लाइमेट चेंज द्वारा देश में सी वोटर की मदद से पांच दिसम्बर 2024.से 18 फरवरी 2025 के बीच किये सर्वे में उपरोक्त्त खुलासा हुआ है। इसमें यह भी कि 60 फीसदी लोगों ने माना है कि आज ग्लोबल वार्मिग से गर्मी ही नहीं बल्कि और काफी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। यही नहीं फसलों पर लगने वाली बीमारियों के प्रकोप के चलते खेती मुश्किल में है। सर्वे में 50 फीसदी लोगों ने कहा है कि बिजली की समस्या दिनों दिन ग़ंभीर होती जा रही है। जबकि 53 फीसदी लोग मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण जल प्रदूषण बढ़ रहा है। सर्वे में 52 फीसदी लोगों की एकमुश्त राय थी कि जल संकट व वायु प्रदूषण के विकराल रूप धारण करना आज के दौर की सबसे बडी समस्या है। मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक के जी रमेश की मानें तो देश में अब भी हालात सामान्य नहीं हैं।हम यदि अब भी सचेत नहीं हुए तो भारी नुक़सान उठाना पड़ेगा। उनके अनुसार यह पहली बार है जबकि तापमान लगातार दिसम्बर से अभी तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ बना हुआ है। यही असामान्य गर्मी और तूफानों का अहम कारण है। गौरतलब है कि बीते साल सितम्बर में हुए जलवायु सम्मेलन में ही मौसम विज्ञानियों ने इस खतरे की ओर चेताया था लेकिन हमने इसकी अनदेखी की और इस बाबत कोई तैयारी नहीं की। यहां यह कटु सत्य है कि यह स्थिति अस्थाई नहीं है।

वैज्ञानिकों की मानें तो जब तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो वातावरण में जलवाष्प 7 फीसदी तक बढ़ जाता है। यानी हवा में ज्यादा नमी बनी रहती है। इससे बादल ने केवल ऊंचाई में बल्कि फैलाव में भी ज्यादा बनते हैं। नतीजतन बिजली गिरने की घटनाएं 12 फीसदी तक बढ़ जाती हैं। ऐसे हालात में जान-माल का नुक़सान ज्यादा बढ़ जाता है। आज पंजाब , हरियाणा से लेकर पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत समेत देश के दस राज्यों से ज्यादा यानी उत्तर पश्चिम से लेकर मध्य पूर्व और दक्षिण भारत के कुछ राज्य भीषण गर्मी की चपेट में हैं। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय,वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से जबाव मांगा है कि वह हीटवेव से निपटने के लिए शीघ्र कार्य योजना तैयार करे।
असलियत में आज देश की तीन चौथाई आबादी भीषण गर्मी और लू का सामना कर रही है। वह बात दीगर है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग मानसून पूर्व बारिश की चेतावनी दे रहा है जिससे कहीं-कहीं मौसम कुछ ठंडा हो सकता है। लेकिन फिर भी गर्मी और लू की मार से लोगों की सेहत बिगड़ रही है और आंख, त्वचा से जुड़ी बीमारियों के शिकार लोगों की तादाद अस्पतालों में तीस से चालीस फीसदी तक बढ़ गयी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के कई हिस्सों, चंडीगढ़, दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, बिहार, झारखंड,ओडिसा, तेलंगाना और कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में बीते दिनों अधिकतम तापमान 41 से 46 डिग्री तक पहुंचा है। वैज्ञानिक आने वाले दिनों में तापमान 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की आशंका जता चुके हैं। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में तो तापमान इस दौरान सर्वाधिक रहा है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तापमान 46.2 डिग्री को पार कर चुका है। यहां तक कि हिमालयी राज्य जम्मू काश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में भी कई जगहों पर तापमान 35 से 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। गुजरात, तटीय आंध्र, तमिलनाडु,केरल, पुडुचेरी और महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्से तो पहले से ही गर्मी की चपेट में हैं। यदि थिंक टैंक काउंसिल आन एनर्जी एनवायरमेंट एण्ड वाटर यानी सीईईडब्ल्यू के अध्ययन के अनुसार जिन दस राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में सबसे अधिक गर्मी का जोखिम है, उनमें दिल्ली, महाराष्ट्र,गोवा,केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। उसके अनुसार सीईईडब्ल्यू ने 55 संकेतकों के आधार पर देश के 734 जिलों की गर्मी के ख़तरों का आंकलन किया। इसमें उसने 1982 से लेकर 2022 तक के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि देश के लगभग 57 फीसदी जिले जिनमें देश की लगभग 70 फीसदी आबादी रहती है,में इस समय सबसे ज्यादा गर्मी का जोखिम है। अध्ययन के अनुसार 734 जिलों में से 417 जिले उच्च और बहुत उच्च जोखिम श्रेणी में आते हैं। इनमें 151 उच्च जोखिम और 266 बहुत उच्च जोखिम में आते हैं। जबकि 201 जिले मध्यम और 116 जिले या तो निम्न या बहुत निम्न जोखिम श्रेणी में हैं।

गौरतलब है कि निम्न या बहुत निम्न जोखिम का मतलब यह नहीं है कि ये जिले गर्मी के जोखिम से मुक्त हैं, बल्कि इसका मतलब यह है कि इनका जोखिम दूसरे जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। देखा जाये तो पिछले दशकों से बहुत गर्म दिनों की तादाद दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। जबकि बहुत गर्म रातों की तादाद और भी अधिक बढ़ रही है। यह पाया गया है कि 1982 से 2011 की तुलना में 2022 में 70 फीसदी जिलों में प्रत्येक गर्मी में पांच से अधिक बहुत गर्म रातों की वृद्धि हुई है। बहुत गर्म रातें वह होती हैं जब तापमान 95 फीसदी समय तक पहले की तुलना में ज़्यादा गर्म रहता है। यह चिंताजनक स्थिति है जो स्वास्थ्य जोखिम कोऔर बढ़ा रही है। यहां यह जान लेना जरूरी है कि बीते दशक में देश की औद्योगिक नगरी मुंबई में हरेक साल गर्मी में 15 से ज्यादा बहुत ही गरम रातें रही हैं जबकि भोपाल और जयपुर में यह आंकड़ा सात-सात और दिल्ली में कमोबेश यही छह के आसपास रहा है। हिमालयी क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं रहे हैं,वहां भी गर्म दिनों और रातों की तादाद बढ़ रही है। यही नहीं उत्तरी भारत में विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदानों में भी तेजी से आद्रता बढ़ रही है। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद,भोपाल जैसे घने शहरी इलाकों में भी गर्मी का जोखिम बढ़ रहा है। इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता।

जहां तक स्वास्थ्य जोखिम का सवाल है,श्रमिक, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बीमार लोग हीट स्ट्रोक के उच्च जोखिम में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार1998 से 2017 के बीच हीट स्ट्रोक के कारण 1,66,000 से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले गये। देखा जाये तो गर्मी से आंखों और त्वचा से जुड़ी बीमारी से पीड़ित लोगों की तादाद में काफी बढ़ोतरी हो रही है। यदि अस्पतालों में आने वाले रोगियों का जायजा लें तो वहां आने वाले मरीजों में आंखों में लालीपन, खुजली, शरीर पर चकत्ते या यूं कहें कि शरीर पर लाल रेशे पड़ने वाले मरीज बहुतायत में आ रहे हैं। पसीने और धूल मिट्टी से त्वचा पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। जहां तक आंखों के मरीजों का सवाल है,तेज धूप और लू की वजह से आंखों की नमी कम हो जाती है। इसके चलते आंखों में लालिमा,खुजली और जलन की समस्या में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा प्रदूषण से आंखों को नुकसान हो रहा है। इसलिए बचाव बहुत जरूरी है। ऐसी स्थिति में डाक्टरों की सलाह है कि बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें। सुबह 10 बजे से सांय चार बजे तक घर से बाहर न जायें। यदि जाना ही पड़े तो जरूरी है धूप में निकलते समय चश्मा पहनें। दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से आंखों को धोएं। खुजली होने पर बिना डाक्टर की सलाह के आई ड्राप न डालें और खुद से क्रीम लगाने के बजाय डाक्टर से सलाह लें। त्वचा को सूखा रखें और दिन में दो बार नहायें। यह इसलिए लोगों को इस अवधि में अपना व अपने परिवार के जीवन व स्वास्थ्य का चिकित्सकों के परामर्श अनुसार विशेष ध्यान रखना चाहिए। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)