
सुनील जैन की रिपोर्ट
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जयपुर। पूर्व अभ्यास यानी रिहर्सल _ हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए रिहर्सल करना जरूरी होता है ताकि परिपक्वता और संपूर्णता प्राप्त की जा सके। मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफर में कई उतार_चढ़ाव देखा है कि किस तरह-तरह एक्टिंग करके अपने आप से छलावा भी करता है, जिसे कई बार कहा जाता है नाटक मत कर!………. जी हां वास्तव में नाटक करना बच्चों का खेल नहीं है यह टेडी खीर है। रंगमंच पर कौन जान सकता है। एक नाट्य निर्देशक एवं नाटक को तैयार करके दर्शकों के समुख प्रस्तुत करता है। उससे पहले उसे पूर्वभ्यास में किन-किन परिस्थिति का सामना करना पड़ता है! उसके सामने क्या-क्या समस्याएं खड़ी होती है और उसकी क्या दशा होती है! यही नाटक रिहर्सल में दिखाने का प्रयास किया गया है।
पात्र परिचय : मृणाल चोपड़ा, असलम कुरैशी, प्रीत, मोनिका कौर, शाहरुख खान अब्बासी, महेश योगी, फरहान कुरैशी, तरुण शर्मा, कपिल कुमार, खुर्शीद आलम, अमन, अलशान कुरैशी, उद्घोषक ज़फर खान, प्रकाश परिकल्पना नरेंद्र सिंह बबल, रूप सजा अलफिजा कुरैशी, मंच सज्जा जितेंद्र लाटा, वस्त्र सज्जा अलसना कुरैशी, मंच व्यवस्था मुकेश कुमार एवं परिकल्पना एवं निर्देशन प्रीत।