पेड़ों की सुरक्षा नागरिकों का दायित्व, अनुच्छेद 51ए : मीणा

लेखक : राम भरोस मीणा
पर्यावरणविद् एवं स्वतंत्र लेखक हैं।
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बिगड़ते पर्यावरणीय हालातों से निजात पाने, पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, बड़ते वैश्विक तापमान से बचने के लिए जंगल जितने आवश्यक है उनकी पूर्ति करने के लिए प्रत्येक नागरिक को राज्य व केंद्र सरकार द्वारा एक पेड़ मां के नाम लगाने नागरिकों, निकायों, पंचायतों के माध्यम से जागरूक कर पेड़ लगवाएं जा रहे हैं, पेड़ लगाना हम सब का दायित्व बनता है, हमें लगाना चाहिए, लेकिन उसके साथ हमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पेड़ों की सुरक्षा नागरिकों का दायित्व को लेकर अनुच्छेद 51ए के तहत् रक्षा करने की जिम्मेदारी भी देता है।
पेड़ लगाने के साथ यदि हम उनकी रक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले और पेड़ मर जाता है तो वह भी अपराध है, राजस्थान मे पेड़ पिछले वर्ष भी लगें लेकिन जों सफलता प्राप्त होने चाहिए थीं वो प्राप्त नहीं हो सकीं, क्योंकि पेड़ लगने के बाद 90 प्रतिशत मर गए अथवा पशुओं द्वारा नष्ट कर दिया गया, वहीं इस वर्ष 2025-26 में हरियालों राजस्थान 2.0 के तहत् 10 करोड़ पेड़ लगाने है, लेकिन पेड़ व्यवस्थित रूप से नहीं लगाए जा रहे या लगाने के बाद उनकी रक्षा करने वाले दिखाई नहीं दे रहे तो ग़लत है। पेड़ों के साथ इस प्रकार की बनती मजाकों को देखते हुए एल पी एस विकास संस्थान के प्रकृति प्रेमी राम भरोस मीणा ने कहा कि यह घिनौना अपराध है जो राज्य व केंद्र सरकार की परियोजनाओं के साथ एक खिलवाड़ हीं नहीं अपितु सेल्फी लेने, पेड़ों के साथ फोटो खिंचवाने, बजट को खर्च करने की होड़ मात्र होना है, हमें टारगेट पूरा करने की बजाय उतने ही पौधे लगाने चाहिए जितनों को सुरक्षा दे सकें और यही बेहतर होगा बजाए टारगेट पुरा कर नाम कमाने के, ऐसा करने से ना प्रकृति बचेंगे ना पेड़, अतः वृक्षारोपण सुनियोजित तरीके से किया जाना तय हो। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)

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