
जाफ़र लोहानी
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जयपुर। हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार का चिल्ला जयपुर के चाँद पोल के पास जालूपुरा में है जो लोग गुजरात नही जा सकते है वो लोग अपना दुखड़ा यहा पर आकर सनाते है खुदा के करम से बाबा इनकी मनोकामना पूरी करवा देते है। चिल्ले की खिदमतगार कय्यूम खान नईम खान व आशा बाजी ने बताया कि 1 अगस्त शुक्रवार से उर्स की शुरुआत होगी इसी के साथ मे जायरिनों का आना शुरू हो जाएगा। रात्रि 10 बजे बाद में महफ़िल ए शमा होगी जिसमें राजस्थान की प्रसिद्ध कव्वाल पार्टियों के द्वारा बाबा की मान मनुहार की जाएगी। इसी प्रकार 2 अगस्त शनिवार को लंगर किया जाएगा जिसमे अकीदतमंद भाग लेंगे। उल्लेखनीय है कि हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार एक प्रसिद्ध सूफी संत थे, जिनकी दरगाह गुजरात के उनावा गांव में स्थित है। यह दरगाह मानसिक और शारीरिक बीमारियों, खासकर जादू-टोने और बुरी आत्माओं से पीड़ित लोगों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है.
हज़रत मीरा दातार के बारे में कुछ मुख्य बातें:
दरगाह: हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार की दरगाह, उनावा गांव में स्थित है, जो गुजरात के मेहसाणा जिले में उंझा के पास है.
मजहब: यह दरगाह सभी धर्मों के लोगों के लिए श्रद्धा का स्थान है.
मान्यता: यह दरगाह बुरी शक्तियों को दूर करने और मानसिक और शारीरिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को ठीक करने के लिए जानी जाती है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो भूत-प्रेत से पीड़ित हैं.
उर्स: हर साल मुहर्रम की 29 तारीख को दरगाह पर उर्स का आयोजन किया जाता है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
जन्नती दरवाजा: दरगाह में प्रवेश करने के लिए नौ चांदी के दरवाजे हैं, जिनमें से एक को जन्नती दरवाजा (स्वर्ग का दरवाजा) कहा जाता है.
मिस्वाक का पेड़: जन्नती दरवाजे के पास एक मिस्वाक का पेड़ था, जिसके बीज निःसंतान महिलाओं के लिए एक उपाय माने जाते थे, लेकिन अब यह पेड़ नहीं है.
ऐतिहासिक महत्व: हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार हुसैनी परिवार से थे और उनका जन्म और शहादत दोनों रमजान की चांदनी रात को हुई थी.
पुण्य कार्य: यह दरगाह मानव जाति के लिए पवित्रता और उदारता का प्रतीक है, और दुनिया भर से लोग यहां आते हैं।