पुस्तक समीक्षा : समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास

समीक्षक : समीर
डॉ. कमलेश मीना द्वारा रचित पुस्तक “समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास” भारतीय समाज, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण की यात्रा को समग्र दृष्टिकोण से समझने का एक अनूठा प्रयास है। यह पुस्तक विचारों, अनुभवों और इतिहास के बहुआयामी संयोजन पर आधारित है, जो हमारे नए भारत के निर्माण में योगदान देने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों, नेताओं, शिक्षाविदों और समाज सुधारकों को उजागर करती है।
पुस्तक का आरंभ महान व्यक्तित्व भगवान सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के विचारों और उनके जीवन के मूल्यों से होता है। लेखक ने बुद्ध के जीवन से जुड़ी शिक्षाओं को विस्तार से समझाने का प्रयास किया है ताकि युवा पीढ़ी जीवन के वास्तविक पाठों और नैतिक मूल्यों को आत्मसात कर सके। इस अध्याय के माध्यम से पाठक यह जान सकते हैं कि किस प्रकार बौद्ध धर्म और उसके नैतिक मूल्यों ने भारतीय संस्कृति और समाज पर स्थायी प्रभाव डाला।
इसके बाद, पुस्तक ने 19वीं सदी के महान शिक्षाविद् महामना महात्मा ज्योतिबा फूले और माता सावित्रीबाई फूले के योगदान का विवरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने समानता, महिला शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में जो कार्य किया, वह आज भी हमारे शिक्षा और सामाजिक ढांचे की नींव के रूप में देखा जा सकता है। यह भाग पाठकों को यह समझने में मदद करता है कि कैसे शिक्षा और समानता के विचार ने भारत को प्रगतिशील राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर किया।

पुस्तक में नए भारत की दिशा और विकास के संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के योगदान को भी विशेष स्थान दिया गया है। लेखक ने बताया है कि कैसे प्रधानमंत्री के दृढ़ नेतृत्व, सुशासन और दूरदर्शिता के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 में 25 साल की योजना का खुलासा इस दृष्टिकोण को पुष्ट करता है, जिसमें देश की आजादी के शताब्दी समारोह तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
समावेशी विचार पुस्तक में विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक नेताओं के योगदान को उजागर किया गया है। इसमें भारतीय राजनीति के शीर्ष नेताओं जैसे परम श्रद्धेय श्री शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, समाज सुधारक कर्पूरी ठाकुर और भारत रत्न डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का उल्लेख है। यह पुस्तक न केवल उनके राजनीतिक और सामाजिक योगदान को दिखाती है, बल्कि उनके नैतिक मूल्यों, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण को भी पाठकों के सामने प्रस्तुत करती है।
पुस्तक में किसानों और ग्रामीण समुदाय के लिए कार्य करने वाले महान नेताओं की जानकारी भी दी गई है। इसमें सर छोटूराम और भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की जीवनी और उनके योगदान का विशेष विवरण है। लेखक ने दिखाया है कि कैसे उन्होंने किसानों की समस्याओं को समझा, उनके उत्थान के लिए संघर्ष किया और समाज में समानता तथा न्याय की भावना को स्थापित किया। उनके प्रयास आज भी भारतीय कृषि और ग्रामीण समाज के लिए प्रेरणादायक हैं।
इसके अलावा, पुस्तक शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तित्वों को भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करती है। प्रोफेसर नागेश्वर राव और प्रोफेसर शंभूनाथ सिंह जैसे शिक्षाविदों ने अपने नेतृत्व और दूरदर्शिता के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन और सुधार लाने का कार्य किया। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि किस प्रकार शिक्षा, ज्ञान और नेतृत्व के माध्यम से युवा पीढ़ी का सृजन और विकास किया जा सकता है।
पुस्तक भारतीय प्रशासनिक सेवाओं और पुलिस प्रशासन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अधिकारियों को भी श्रेय देती है। केएल मीना जैसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के उदाहरण के माध्यम से यह समझाया गया है कि ईमानदारी, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा के साथ किसी भी प्रशासनिक सेवा में सर्वोत्तम कार्य किया जा सकता है।
लेखक ने समाज के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू के योगदान और आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से योग, ध्यान और आध्यात्मिक जीवन की महत्ता को पुस्तक में स्थान दिया गया है। यह भाग पाठकों को मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक समृद्धि के महत्व के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।
पुस्तक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। यह नीति 34 साल के अंतराल के बाद लागू की गई और 21वीं सदी के भारत के लिए शिक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लेखक ने विस्तार से बताया है कि कैसे यह नीति छात्रों, शिक्षकों और समाज के समग्र विकास में योगदान करती है और युवाओं में सृजनात्मक, तार्किक और संवेदनशील विचारों को विकसित करने में सहायक है।
समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास 57 अध्यायों में विभाजित है, जिसमें प्रत्येक अध्याय अलग-अलग क्षेत्र और विषय के प्रमुख व्यक्तित्वों, उनके कार्यों, योगदान और मूल्यों पर प्रकाश डालता है। पुस्तक में नेतृत्व, राजनीति, शिक्षा, समाज सुधार, आध्यात्मिकता, न्याय और प्रशासन के बहुआयामी पहलुओं को समेटा गया है। यह न केवल इतिहास और वर्तमान की समझ प्रदान करती है, बल्कि भविष्य की दिशा और राष्ट्र निर्माण की दृष्टि भी स्पष्ट करती है।
अंततः, यह पुस्तक हमारे भारतीय नायकों, शिक्षाविदों, समाज सुधारकों, नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के योगदान का एक अभूतपूर्व संग्रह है। यह पाठकों को न केवल उनके जीवन और कार्यों से परिचित कराती है, बल्कि उनके मूल्यों, संघर्षों और समर्पण से प्रेरित भी करती है। डॉ. कमलेश मीना ने “समावेशी विचार” के माध्यम से यह संदेश दिया है कि प्रत्येक नागरिक के लिए अपने कर्तव्य, समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी निभाना कितना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्षतः, यह पुस्तक न केवल एक इतिहास और जीवन चरित्र संग्रह है, बल्कि नए भारत के निर्माण, समाज सुधार, शिक्षा और नेतृत्व के महत्व को उजागर करने वाला मार्गदर्शक ग्रंथ है। यह पुस्तक युवा पीढ़ी, शिक्षकों, प्रशासनिक अधिकारियों और समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह पाठक को अपने कर्तव्यों, नैतिक मूल्यों और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना के साथ सशक्त बनाती है। डॉ. कमलेश मीना की यह रचना हमारे भारत की विविधता, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण की यात्रा को समझने का एक अनमोल अवसर प्रस्तुत करती है। (समीक्षक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)

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