
लेखक : लोकपाल सेठी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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लोकसभा के मानसून सत्र के तुरंत बाद सदन में विपक्ष के नेता राहुल गाँधी ने कहा था कि वे जल्दी आणविक बम फोड़ेंगे . इसके कुछ दिनों बाद वे कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु पहुंचे. उन्होंने वहां एक बड़ी सभा को संबोधित किया . इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर बड़े स्तर पर “वोटों की चोरी” कर रहे हैं . बाद में उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि किस प्रकार केंद्रीय बंगलुरु लोकसभा क्षेत्र में वोटों की चोरी की गई . उनका कहना था कि चुनावों से ठीक पहले इस लोकसभा के एक विधानसभा क्षेत्र महादेवपुरा में एक लाख फर्जी वोट बनाये गए जिसके चलते वहां कांग्रेस का उम्मीदवार हार गया . चुनाव आयोग ने इन आरोपों का खंडन किया तथा कहा कि वे इन आरोपों को सबूत के साथ पेश करें . लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आयोग को कोई सबूत नहीं दिया . राहुल गाँधी ने महादेवपुरा के इस विधानसभा क्षेत्र के अलावा महाराष्ट्र के एक विधानसभा चुनाव क्षेत्र भी नाम लिया था जहाँ उनके अनुसार भारी संख्या में फर्जी वोट बनाये गए।
उस समय पहले राहुल गाँधी ने फिर कहा कि अब वे जल्दी ही एक नया और बड़ा बम फोड़ेंगे . कुछ दिन पूर्व उन्होंने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मलेन एक लम्बा व्योरा पेश किया और आरोप लगाया किस प्रकार आयोग और बीजेपी मिलकर वास्तविक वोटरों के नाम कटवाने की कोशिश करते रहे हैं . इस बार भी उन्होंने कर्नाटक और महाराष्ट्र और कर्नाटक के एक एक विधानसभा क्षेत्र का उल्लेख किया जहाँ ऐसे मतदातायों के नाम नाम काटने का षडयंत्र किया गया लेकिन कांग्रेस के सतर्क कार्यकर्तायों ने समय रहते यह चोरी पकड़ ली . कर्नाटक के जिस विधानसभा क्षेत्र का उन्होंने उल्लेख किया वह आलंद था जो राज्य के कलबुर्गी जिले में पड़ता है.उन्होंने कहा कि यहाँ कम से 6000 वोटों के नाम कटवाने की कोशिश की गई . उनका आरोप था कि यह चोरी एक योजना बद्ध तरीके से करने का प्रयास था।
उनका कहना था कि ऑन लाइन के जरिये लोगों के नाम काटने का आवेदन किया गया जो जीवित थे तथा अपने गाँव और घरों में रह रहे थे . समान्य तौर पर जब जब कोई आवेदन ऑन लाइन आता है तो ब्लाक चुनाव अधिकारी मौके पर जा कर तसदीक करता है कि उक्त मतदाता जिन्दा है या नहीं और वह उसी ठिकाने पर रह रहा है जो उसके वोटर कार्ड में दर्ज है . कर्नाटक में मई 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे . इन चुनावों से तीन महीने पूर्व सामान्य तौर मतदाता सूचियों का अवलोकन किया गया था . लेकिन चुनावों से कुछ महीने पहले कई खंड चुनाव अधिकारियों को ऐसे ऑन लाइन आवेदन मिले जिनमे मतदाता ने न केवल अपना नाम काटने को कहा था बल्कि अपने कुछ रिश्तेदारों का नाम भी मतदाता सूचि से हटाने के लिए कहा था। ऐसा माना जाता है कि एक खंड चुनाव अधिकारी ने चुनावों में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बी .आर. पाटिल को सतर्क कर दिया। पाटिल ने अपने स्तर पर कई अन्य खंड चुनाव अधिकारियों से पता किया कि क्या वहां भी ऐसा पाया गया है। इस विधानसभा में कुल 254 मतदाता केंद्र हैं .पाटिल के समर्थकों ने पाया कि हर मतदाता केंद्र से 20 से 30 मतदातायों के नाम काटने का आवेदन किया गया है। नाम काटे जाने वाले मतदातायों की कुल संख्या 618 पाई गई। उन्होंने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की। आयोग ने अपने स्तर पर जाँच करवाने के बाद पाया इनमें से 5994 न केवल जीवित हैं और वही रह रहे है जिस पते पर उनका वोट बना है . आयोग ने पुलिस में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई। बाद में यह मामला पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दिया गया। हालाँकि इस इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार पाटिल ही जीते लेकिन वे फिर भी मामले की तेजी जाँच के बात करते रहे .राहुल गाँधी इस मुद्दे पर बड़े बम को फोड़ने की बात कर रहे थे वह दो साल से अधिक समय से पुलिस के पास लंबित है जबकि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है। शुरू में राहुल गाँधी ने आरोप लगाया कि यह सब कांड बीजेपी और आयोग की मिली भगत से हुआ। लेकिन बाद में उन्होंने चुनाव आयोग पर निशाना साधनेकी नीति अपना ली। असल में सारा मामला उजागर करने का श्रेय कांग्रेस के यहाँ से विधायक पाटिल को जाता है। लेकिन अब राहुल गाँधी ने इसे चुनाव आयोग पर हमला करने का हथियार बना लिया है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)