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जयपुर। केंद्र सरकार के जरिये वक्फ़ अधिनियम (1995) में संशोधन भेदभावपूर्ण और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। यह कानून धर्म की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार (अनच्छेद 25) और अपने धार्मिक संस्थानों की स्थापना एवं प्रबंधन के अधिकार (अनच्छेद 26 और 29) के विरुद्ध है। यही कारण है कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़रिये परे देश में वक्फ़ एक्ट 2025 के खिलाफ़ आन्दोलन चलाया जा रहा है। इस आन्दोलन के तहत दूसरे चरण के प्रोग्राम भी शुरू हो चके हैं। इसी कड़ी में 3 अक्ट्रबर 2025 को भारत बंद की घोषणा की गई थी, जिसे अब स्थगित कर दिया गया है। क्योकि देश कर कई रा्ज्यों में इन्ही तारीखों में हमारे हम वतन भाइयों के त्यौहार हैं। नई तारीख की घोषणा जल्द ही घोषित की जाएगी। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हाल में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर मायूसी का इज़हार करते हुए यह उम्मीद ज़ाहिर की है कि सर्वोच्च न्यायालय की क़ानूनी बैंच का फ़ेसला संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के अनुसार आएगा। साथ ही बोर्ड ने यह ऐलान भी किया है कि वक्फ एक्ट 2025 के विरोध में हमारा आन्दोलन उस वक्त तक जारी रहेगा जब तक कि सरकार इन कानूनी संशोधन को वापस ना ले।
इस अवसर पर हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि “आई लव महम्मद सल्ल” के नारे का इस्तेमाल करना और बेनर पर लिख कर लगाना किसी भी तरह गैर कानूनी और असंवेधानिक नहीं है। कानपुर में हुए पुलिस एक्शन के ख़िलाफ़ बरेली में पर अमन मज़ाहिरा करने वालों की गिरफ्तारियां विशेषतोर पर इस्लामी स्कॉलर मौलाना तोक़ीर रज़़ा और उनके साथ कई अन्य साथियों की गिरफ़्तारी की हम कड़ी निंदा करते हैं। यह बहुत गंभीर चिंता का विषय है और इस बात’ को दर्शाता है कि साम्प्रदायक राजनीती और घृणा से प्रेरित शासन हमारे देश को किस दिशा में ले जा रहा है। हम उत्तर प्रदेश सरकार से म्तालबा करते हैं कि मौलाना तोक़ीर रज़ा और अन्य बेकसूर लोगों को तुरंत रिहा किया जाए और उन पर लगाए गए मुकदमात को वापस लिया जाए। यह बात तहफ्फज़ औकाफ कमेटी राजस्थान के कन्वीनर की सदारत में मीडिया के समक्ष अनेक मुस्लिम संगठनों के लोगों ने कही।