क्लाइमेट और ट्रेड की दुनिया को जोड़ने की बड़ी पहल

निशांत की रिपोर्ट
लखनऊ (यूपी) से
www.daylifenews.in
COP30 में लॉन्च हुआ Integrated Forum on Climate Change and Trade
बेलेम में चल रहे COP30 के बीच आज एक अहम घोषणा हुई. ब्राज़ील की प्रेसीडेंसी ने आधिकारिक तौर पर Integrated Forum on Climate Change and Trade (IFCCT) की शुरुआत कर दी है. यह कदम इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि पहली बार जलवायु और व्यापार के बीच बढ़ती तनातनी को कम करने, और एक साझा संवाद का मंच देने की कोशिश इतनी स्पष्टता से सामने आई है.
इस फ़ोरम का मक़सद सीधा है. देशों को एक ऐसी जगह देना जहाँ वे जलवायु कार्रवाई और वैश्विक व्यापार नियमों के बीच संतुलन पर बात कर सकें, बिना किसी राजनीतिक दबाव के और बिना किसी binding negotiation के.
फ़ोरम की मुख्य घोषणाएँ

  • ब्राज़ील ने घोषणा की कि दिसंबर 15 से 19 के बीच जिनेवा में एक ओपन-एंडेड कंसल्टेशन प्रोसेस चलेगा, जिसमें देश यह तय करेंगे कि फ़ोरम का दायरा क्या होगा और किन विषयों पर नियमित बातचीत ज़रूरी है.
  • COP30 प्रेसीडेंसी ने शुरुआत में ही साफ़ कहा कि “ट्रेड जलवायु परिवर्तन से अलग नहीं है”. देशों को ऐसे ढांचे तैयार करने होंगे जो जलवायु लक्ष्य हासिल करने में मदद करें.
  • ऑस्ट्रेलिया, चीन, न्यूज़ीलैंड और यूके ने अपने-अपने राष्ट्रहित के मुद्दे ज़रूर उठाए, पर एक बात पर सभी सहमत दिखे: ट्रेड जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा.
  • WTO, Climate Club, Energy Foundation China, International Chamber of Commerce और कई सिविल सोसाइटी संस्थाएँ भी इस लॉन्च के दौरान मौजूद रहीं.
  • सबसे नोटिस करने वाली बात थी EU का गायब रहना. पहले संकेत मिले थे कि EU शामिल होगा, पर प्रतिनिधि मौजूद नहीं थे. यूरोपीय संस्थाओं की ओर से सिर्फ़ Laurence Tubiana और Climate Club के Michael Apicelli ही मौजूद रहे.
    देशों के प्रमुख बयान
    चीन के प्रतिनिधि ली गाओ
    “वैश्विक संकट का हल सहयोग में ही है. और बातचीत में उन unilateral trade measures का असर शामिल होना चाहिए जो विकासशील देशों को प्रभावित करते हैं.”
    ऑस्ट्रेलिया के क्लाइमेट एम्बेसडर विल नैनकर्विस
    “ट्रेड और क्लाइमेट एक दूसरे से जुड़े हैं. दोनों सिस्टम्स के बीच तनाव को समझकर आगे बढ़ना होगा.”
    यूके की स्पेशल रिप्रेज़ेंटेटिव रचेल काइट
    “ट्रेड फ्रेमवर्क को जलवायु एक्शन को सक्षम बनाना चाहिए, रोकना नहीं. विकासशील देशों की भूमिका बढ़ाना इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है.”
    विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ
    डॉ. दाउदा सेम्बेने, Africatalyst
    “क्लाइमेट ambition और ट्रेड पॉलिसी का अंतर खत्म करना ज़रूरी है. फ़ोरम विकासशील देशों को rare अवसर देता है कि वे वैश्विक आर्थिक मॉडल में न्याय, स्थिरता और समावेशन को आगे बढ़ाएँ.”
    अल्फ़ोंसो मेडिनिला, ECDPM
    “EU जैसे ब्लॉक ने एक तरफ़ unilateral measures बढ़ाए हैं, दूसरी तरफ़ WTO ठोस नियम देने में पीछे रहा है. ऐसे माहौल में यह फ़ोरम एक संतुलन बनाने का मौका है.”
    एली बेल्टन, E3G
    “डेवलप और डेवलपिंग देशों के बीच भरोसा टूट चुका है. IFCCT में शामिल होना EU और UK के लिए कम लागत में विश्वास बहाल करने का रास्ता हो सकता है.”
    इसका मतलब क्या है?
    बेलेम में यह फ़ोरम ऐसे समय लॉन्च हुआ है जब दुनिया भर में ट्रेड-बेस्ड क्लाइमेट पॉलिसियाँ, जैसे EU का CBAM, नए प्रोडक्ट स्टैंडर्ड, और tariff-related दबाव गंभीर विवाद को जन्म दे रहे हैं.
    ब्राज़ील की यह पहल उन तनावों को कम करने का प्रयास है, और खासकर विकासशील देशों को एक बराबरी का मंच देने का इरादा रखती है.
    अब नज़रें दिसंबर पर हैं, जब जिनेवा में पहली कंसल्टेशन शुरू होगी और यह साफ़ होगा कि जलवायु और व्यापार की दुनिया एक दूसरे को टकराने के बजाय साथ लाने का कोई रास्ता ढूंढ पाती है या नहीं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)

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