
मीनू – मीनू मां अनुराधा ने आवाज दी, लेकिन मीनू तो रोज की तरह सोशल साइट्स पर नए मित्र बनाने में व्यस्त थी सो मां की आवाज को अनसुना कर रही थी।
जाने क्या होता जा रहा है आजकल की युवा पीढ़ी को ? मां सोच में पड़ गई। जमाना इतना बदल जाएगा कि घर में रहने वाले सदस्य पराए व सोशल साइट्स पर पराए अपने बन जाएंगे। आजकल के बच्चे देर रात तक मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं। सुबह देर तक सोकर उठते हैं। मानो घरेलू जिम्मेदारी तो खत्म ही हो गई हो। बेटी को पराए घर जाना होता है कुछ तो घर का कामकाज सीखे। अनुराधा हर वक्त मीनू को समझाती, उसे तो यह सब सुनने और समझने की फुर्सत ही नहीं थी। मीनू पलट कर जवाब देती – अरे मां आजकल कोन घर का काम करता है, सब जगह नौकर काम करते हैं।
मां यह सुनकर उदास हो जाती। एक दिन यही सोचते सोचते उसकी झपकी लग गई थी। मीनू ने उठाते हुए कहा- मां में बाहर जा रही हूं अपने सहेलियों के साथ हम वहीं खाना खाएंगे और फिर मूवी देख कर आएंगे आप चिंता मत करना। मां ने पूछा – कौन से मित्र हैं और किसके साथ जा रही हो? मीनू ने तुरंत जवाब दिया – मां आजकल सोशल मीडिया का जमाना है इंस्टाग्राम, फेसबुक पर बहुत से नए मित्र बने हैं, उन्हीं के साथ जा रही हूं ।
मीनू तो यह कह कर निकल गई। अनुराधा जवान बेटी की मां थी तो चिंता में पड़ गई। मन ना जाने कैसा हो गया था। इसी उधेड़बुन में कब अंधेरा हो गया पता ही नहीं चला। दरवाजे की घंटी बजी तो ध्यान आया कि पति विनय के आने का समय हो गया था दरवाजा खोला तो अनुराधा का मुरझाया चेहरा देखकर उसका पति विनय पूछने लगा – क्या हुआ तबीयत तो ठीक है ना? मीनू कहां है ?
नहीं नहीं तबीयत तो ठीक है और मीनू बाहर गई है पर मीनू का इस तरह बाहर रहना मुझे पसंद नहीं है अनुराधा बोली।
विनय उसे सांत्वना देते हुए बोला – अरे अपना मन छोटा मत करो मीनू कोई बच्ची तो है नहीं घूम फिर कर आ जाएगी। अनुराधा उदास हो गई बोली – बच्ची नहीं है इसी बात का डर है आए दिन अखबारों में कैसी-कैसी खबरें आती रहती है।
चलो चलो अब ज्यादा मत सोचो, तुम्हारे हाथ की गरमा गरम चाय पिलाओ- विनय ने कहा। अनुराधा चाय बनाने चली गई और साथ ही शाम के खाने की तैयारी में लग गई।
उस दिन मीनू समय पर घर आ गई थी। बहुत खुश थी और कहने लगी – मां मां बहुत मजा आया पिज़्ज़ा, बर्गर, चाऊमीन, पास्ता खूब सारी चीज खाई। मां सोचने लगी कहां हमारा भारतीय भोजन और कहां यह जंक फूड पर बोली कुछ नहीं गुड नाइट कह कर मीनू सोने चली गई।
दो-चार दिन बीते होंगे कि फिर से मीनू ने फरमान जारी किया- मां आज मेरा खाना मत बनाना मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जाऊंगी आभा, विभा सब साथ है। अनुराधा मन ही मन में दर्द महसूस कर रह थी।
रात का खाना खाकर अनुराधा सोने चली गई थी, पर जवान बेटी की मां थी और बेटी घर के बाहर थी तो ऐसे में नींद कहां आती जाने किन विचारों में खो गई थी।
अचानक दरवाजा जोर-जोर से पीटने की आवाज आई। कौन इतनी जोर जोर से दरवाजा पीट रहा है? कहते हुए अनुराधा दरवाजे की और बढ़ी और खोला तो मीनू सामने खड़ी थी। अचानक से मां के गले लग कर जोर-जोर से रो पड़ी, बस रोती ही जा रही थी, मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे डरी हुई सी लग रही थी ।
मां ने उसे चुप कराया और अंदर आने को कहा। मीनू को पानी लाकर पिलाया और शांति से बैठकर सब बात बताने को कहा।
मीनू बोली – मां मुझे माफ कर दो, मैंने आपका बहुत अपमान किया है पर आज पता चला कि आप सब सच ही कह रही थी।
पर बता तो सही बात क्या है?- अनुराधा बोली।
मीनू कहने लगी- हम सब मूवी देखने गए थे, हमारे साथ रवि नाम का एक लड़का था जिससे इंस्टाग्राम पर दोस्ती हुई थी। टिकट खिड़की के पास पहुंचने पर रवि बोला- मीनू तुम टिकट लो मैं और आभा कैंटीन में चाय पी कर आते हैं। यह कहकर दोनों चाय पीने चले गए, हमने काफी देर तक इंतजार किया, कैंटीन में भी जाकर देखा तो वे वहां नहीं थे। मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा था। किसी अनहोनी की आशंका से हम सब मित्र थाने गए और प्राथमिकी दर्ज करवाई।
थानेदार संवेदनशील आदमी थे तुरंत कार्रवाई करते हुए पूरे शहर में नाकाबंदी करवा दी। रवि की कार एक सुनसान इलाके में खड़ी हुई मिली। आभा की इज्जत लूट चुकी थी, रवि ने चाय में नशीला पदार्थ मिलाया, जिससे आभा बेहोश हो गई उसके बाद रवि उसको कार में लेकर सुनसान इलाके में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने रवि को गिरफ्तार कर लिया पर उसे क्या आभा की तो जिंदगी बर्बाद हो चुकी थी।
मीनू फिर जोर-जोर से रोने लगी अनुराधा बोली – हमें आभा के घर चलना है उसे तसल्ली भी देनी है और अपराधी को सजा भी दिलवानी है। मां बेटी गाड़ी में बैठकर आभा के घर की ओर चल दिए पर मीनू के चेहरे पर अपनी मां को दकियानूसी बोलने वह उसका कहना ना मानने की शर्मिंदगी के भाव स्पष्ट झलक रहे थे। (लेखिका के अपने विचार हैं)
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।