डॉ. रिपुन्जय सिंह ने पीएम नरेन्द्र मोदी को वायु प्रदूषण की समस्या से अवगत कराया

वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है
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जयपुर। स्वच्छ नगर संस्था, जयपुर के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रिपुन्जय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर उत्तर भारत के अनेक राज्यों में वायु प्रदूषण की गम्भीर समस्या की ओर उनका ध्यान आकर्षित इसके निदान हेतु अनुरोध किया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वायु प्रदूषण उत्तर भारत के पॉच राज्यों में गंभीर स्वास्थ्य आपदा का रूप ले चुका है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं एवं पहले से बीमार व्यक्तियों पर पड़ रहा है। इसके कारण सांस संबंधी रोग, हृदय समस्याएँ और अन्य गंभीर स्वास्थ्य जोखिम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।
उन्होने पत्र में लिखा है कि यह स्थिति केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि मानवीय और प्रशासनिक संकट भी बन चुकी है। इसके लिए केवल मौसमी कारणों को जिम्मेदार ठहराना पर्याप्त नहीं है। नीतिगत कमियाँ, प्रशासनिक उदासीनता, समय पर कार्रवाई का अभाव तथा कुछ मामलों में नियमों के खुले उल्लंघन ने इस समस्या को और गहरा किया है।
इस संदर्भ में वायु प्रदूषण के संकट से निजात पाने हेतु उन्होंने प्रधान मंत्री को विनम्र अनुरोध किया है कि-

  1. इस गंभीर मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर त्वरित एवं निर्णायक कार्रवाई की जाए।
  2. सभी संबंधित राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्पष्ट उत्तरदायित्व तय किया जाए, ताकि जमीनी स्तर पर स्थिति सुधारने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित हो।
  3. वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं अन्य दोषियों की भूमिका की समीक्षा कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
  4. इस विषय पर आप स्वयं राष्ट्र को संबोधित करें, ताकि नागरिकों में जागरूकता बढ़े और यह संदेश जाए कि सरकार इस संकट को अत्यंत गंभीरता से ले रही है।
    डा. सिंह ने लिखा है कि प्रधानमंत्री, आपने कोविड-19 महामारी के समय जिस प्रकार एक सशक्त क्राइसिस मैनेजर के रूप में नेतृत्व किया और राष्ट्र को दिशा दी, वही निर्णायक नेतृत्व आज इस वायु प्रदूषण संकट के समाधान के लिए भी अपेक्षित है। देश की वर्तमान और भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु यह आवश्यक है कि यह विषय वायु प्रदूषण से निजात हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बने और इसे केवल अस्थायी उपायों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि दीर्घकालिक और ठोस समाधान अपनाए जाएँ।
    आप से आशा है कि आप इस गंभीर विषय पर संज्ञान लेकर राष्ट्रहित में आवश्यक कदम उठाने की कृपा करेंगे।

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