
निशांत की रिपोर्ट
लखनऊ (यूपी) से
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न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की मेज़बानी में हुई क्लाइमेट समिट में 100 से अधिक देशों ने 2035 के लिए अपने नए जलवायु लक्ष्य पेश किए। इस मौके पर चीन ने भी अपनी पहली एब्सॉल्यूट एमिशन कटौती योजना की घोषणा की, लेकिन इसे विश्लेषकों ने “कमज़ोर और पहले से तय रफ्तार” बताया।
चीन ने ऐलान किया कि 2024 में एमिशन के चरम पर पहुँचने के बाद वह 2035 तक ग्रीनहाउस गैसों को 7–10% तक घटाएगा। इसके साथ ही, उसने 2035 तक अपनी कुल ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ईंधनों की हिस्सेदारी 30% से अधिक करने और पवन-सौर क्षमता को 3600 गीगावाट तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा। यह 2020 के स्तर से छह गुना ज़्यादा है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वीडियो संदेश में कहा, “ग्रीन और लो-कार्बन ट्रांज़िशन हमारे समय की मांग है। जब कुछ देश इसके खिलाफ जा रहे हैं, तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट रहकर, अडिग आत्मविश्वास और लगातार कार्रवाई के साथ आगे बढ़ना होगा।”
चीन पर नज़रें क्यों
दुनिया का सबसे बड़ा प्रदूषक होने के नाते चीन पर वैश्विक निगाहें हमेशा टिकी रहती हैं। अकेले चीन का हिस्सा 2024 में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस एमिशन का लगभग 30% रहा, जो अमेरिका से दोगुना है। इस लिहाज़ से उसका हर नया वादा वैश्विक जलवायु राजनीति में मायने रखता है।
मगर क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर की चीनी इकाई की प्रमुख नॉरा झांग का कहना है,
“यह लक्ष्य उतना नया या महत्वाकांक्षी नहीं है जितना दिखता है। हमारी गणनाओं के मुताबिक, मौजूदा नीतियों से ही चीन इस लक्ष्य को हासिल कर लेगा। यानी, यह एमिशन घटाने की रफ्तार और तेज़ करने वाला कदम नहीं है।”
दुनिया भर से मिली मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
आयरलैंड की पूर्व राष्ट्रपति मैरी रॉबिन्सन ने कहा कि चीन के कदम टिमिड (कमज़ोर) हैं, लेकिन उसका तेज़ी से बढ़ता क्लीन-टेक सेक्टर मौजूदा अनुमान से कहीं आगे जा सकता है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रक्रिया की पूर्व प्रमुख क्रिस्टियाना फिगेरेस ने कहा कि यह सही दिशा में कदम है, लेकिन पेरिस समझौते के लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए और कहीं अधिक महत्वाकांक्षा की ज़रूरत है।
चीन के भीतर भी बड़े बदलाव
नई योजना में एमिशन कटौती और नवीकरणीय ऊर्जा के अलावा, चीन ने 2035 तक अपने जंगलों के कुल भंडार को 24 अरब घन मीटर तक बढ़ाने, नए ऊर्जा वाहनों को कार बिक्री का मुख्यधारा बनाने और कार्बन ट्रेडिंग मार्केट को और बड़े क्षेत्रों तक फैलाने का भी वादा किया है।
शी जिनपिंग ने दोहराया,
“ये लक्ष्य पेरिस समझौते की ज़रूरतों पर आधारित चीन का सर्वश्रेष्ठ प्रयास हैं। इन्हें हासिल करना हमारे लिए कठिन भी होगा और इसके लिए एक सहयोगी और खुला वैश्विक वातावरण भी चाहिए।”
ग्लोबल तस्वीर
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने समिट की शुरुआत में ऐलान किया कि अमेज़न में होने वाला COP30 “सच का COP” होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा तभी संभव है जब इंसानों की ज़रूरतों का भी ख्याल रखा जाए।
इस बीच, समिट ने यह भी साफ किया कि दुनिया भर के देश 2035 के लिए अब पहले से कहीं अधिक विस्तृत और इकोनॉमी-वाइड क्लाइमेट प्लान बना रहे हैं। सवाल अब केवल इतना है कि क्या बड़े उत्सर्जक देश—खासतौर पर चीन—अपनी महत्वाकांक्षा और बढ़ाने के लिए तैयार होंगे।