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वर्तमान समय में समाज में दिखावे की प्रवृत्ति फैलती जा रही है शादी ब्याह में बेहिसाब पैसा खर्च किया जाता है। धनी वर्ग बड़ी शान से शादी करता है। उसके देखा देखी मध्यम वर्गीय परिवार भी समाज में अपने प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए उधार लेकर शादियां करते हैं जो की नितांत फिजूल खर्ची है शादी अपने आर्थिक स्तर को देखते हुए करें। कम से कम खर्च करें।
घर में शादी तय हो गई हो तो सबसे पहले घर वाले एक साथ मिलजुल कर योजना बनाएं शादी के लिए न्यूनतम बजट निर्धारित करें। शादी के कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाएं प्रत्येक कार्यक्रम पर होने वाले खर्च का हिसाब लगाया जाए किस कार्यक्रम पर कितना खर्च करना है। इसके लिए अलग-अलग बजट तय करें। समाज में दिखाने के लिए सजावट पर ज्यादा खर्च न करें। हल्की-फुल्की सजावट हो जो सौम्य व गरिमामय लगे। मेहमानों की संख्या निर्धारित की जाए वह कम से कम रखी जाए। शादी के बड़े-बड़े निमंत्रण पत्र ना छपवाए इस पर अनावश्यक खर्च न करें। आजकल सोशल मीडिया इसका एक अच्छा माध्यम बन गया है। उस पर सभी को सूचना दी जा सकती है। मेहमानों के ठहरने के लिए महंगे होटलों पर खर्च न किया जाए। सादगी, स्वच्छता और सुविधा पूर्ण स्थान निर्धारित कर लिया जाए। शादी ब्याह में अत्यधिक महंगे कपड़ों की खरीदारी ना करे क्योंकि आजकल फैशन बदलते रहते हैं।
स्नेह भोज में अनावश्यक व्यंजनों की भरमार ना हो। सीमित संख्या में व्यंजन बनाए जाए स्टालों की संख्या भी भारतीय खानपान के अनुसार कम ही लगाई जाए। भीड़ के कारण लोग सभी प्रकार के व्यंजनों से अपनी प्लेट भर लेते हैं ताकि दोबारा ना आना पड़े, लेकिन इस वजह से आधा खाना कचरा पात्र में जाता है। दो-चार बड़े-बड़े खाली बर्तन रख दिए जाए छोटा सा सूचना पत्र उसके पास लगा दें। मेहमान प्लेट में बचे हुए खाने को इन बर्तनों में डालें उसके बाद प्लेट कचरा पात्र में डालें ताकि यह खाना गरीबों के काम आ सके। मेहमानों के लेनदेन के उपहार का भी बजट निर्धारित करें। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।