जश्ने ईद मिलादुन्नबी का भव्य आयोजन नज़र बाग़ पेलैस में

अरशद शाहीन
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टोंक। डेढ़ सौ साल से हो रहा है यह कार्यक्रम हजरत मुहम्मद (स.) के यौमे पैदाईश के उपलक्ष्य में नजर बाग पैलेस में ऐतिहासिक महफिले मिलाद का आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है। जो एक सप्ताह तक आयोजित किया। इसमें खूबसूरत लहजे में मिलाद खलील जो नस्त्र व नज्म में कई विद्वानों द्वारा लिखी गई है, वो पढ़ी जाती है। इसके माध्यम से हजरत मुहम्मद (स.) की सीरत पर रोशनी डाली गई। अदबी, रुहानी एवं पुरसुकून माहौल में प्रति वर्ष आयोजित इस महफिल में इस बार कई शख्सियतें जो मुख्य रुप से भाग लेती रही है, वो इस दुनिया से रुखसत होने के कारण भले ही नजर नहीं आई। लेकिन उनके परिजन आदि इस महफिल की अहमियत को बनाए रखते हुए मिलाद में भाग लिया तथा पूरे अदब के साथ मौजूद नजर आए।
महफिले मिलाद में अजीजुल हक, मौलाना जमील, सा. सौलत अली खान, सा. सरवत अली खान, गुलजार खान, आसिफ अली, अरशद अली, इस्माइल अली आदि मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि दुनिया में मिलाद का साप्ताहिक आयोजन बारावफात के उपलक्ष्य में टोंक में ही आयोजित होता रहा है। जो टोंक के चौथे नवाब इब्राहिम अली खां के कार्यकाल से अब तक प्रति वर्ष हो रहा है। इब्राहिम अली खां का कार्यकाल 1867 से 1930 तक रहा। रियासत काल में एकता भाईचारे का संदेश देते इस आयोजन में सभी वर्ग के लोग पूरी सम्मान के साथ भाग लेते थे। उसके बाद तक भी सभी वर्ग इसमें नजर आते रहे। रियासत काल थे। में इस का आयोजन बहुत ही भव्य होता था। मदरसों, पाठशालाओं आदि की फेहरिस्त बनाई जाती थी, जिनको प्रत्येक दिन मिठाई तकसीम की जाती थी। कई विभागों मे में साप्ताहिक छुट्टी होने के साथ ही पूरे शहर में करीब डेढ सौ मन मिठाई का वितरण एक दिन में हो जाया करता था। उस समय बिजली नहीं होने के कारण लालटेनों को खुबसूरत तरीके से सजाकर रोशनी की जाती थी तथा नजर बाग के मैदान में काफी खुबसूरत इंतजाम महफिले मिलाद के लिए किए जाते थे। इस दौरान नवाब भी मौजूद रहते नजर बाग में नवाबी दौर से चली आ रही मिलाद की महफिल शुरू हुई।
लोग मिलाद की महफिलों के साथ विशेष इबादत में मिलाद शरीफ़ का आयोजन किया जाता है। जुटे रहेंगे। शहर की तमाम मस्जिदों में जलसे तथा तिलावते कुरान होगी। नजरबाग में रियासत काल से चली आ रही ईद मिलादुन्नबी की महफिल शहर में नजर बाग में नवाबी रियासत के चौथे नवाब इब्राहिम अली खां के समय से महफिले मिलाद शरीफ शुरू हुई थी। नवाब इब्राहिम अली खां का दौर 1849 से 1930 तक रहा। मिलाद शरीफ में पढ़ने वालो मे कई लोग शामिल होते हैं।गुलजार मियां ने बताया कि हजरत मुहम्मद (स) की यौमे पैदाईश के मौके पर टोंक में रियासत काल से साप्ताहिक महफिले मिलाद का आयोजन किया जाता रहा है। शुरू में ये महफिल नजर बाग के बाहर दरवाजे के सामने वाले मैदान में मुनकिद होती थी। इसके लिए उस दौर में मदरसों, पाठशालाओं आदि के नामो की लिस्ट बनाई जाती थी, जिनको प्रत्येक दिन मिठाई तकसीम की जाती थी।
कई महकमों में साप्ताहिक छुट्टी होने के साथ ही पूरे शहर में करीब डेढ़ सौ मन मिठाई का वितरण एक दिन में हो जाया करता था। उस समय बिजली नहीं होने के कारण लालटेनों को खुबसूरत तरीके से सजाकर रोशनी की जाती थी।तथा नजर बाग के मैदान में इंतजाम किए जाते थे। उल्लेखनीय है कि इस्लामी हिजरी सन के तीसरे माह रबीउलअववल की 9 तारीख से नजर बाग पैलेस में साप्ताहिक महफिले मिलाद का आयोजन होता आ रहा है। बारावफात के उपलक्ष्य में आयोजित इस मेहफिल का रियासत काल में अपना अलग ही मुकाम रहा। नवाब इब्राहिम अली खां के बाद भी इस महफिल का आयोजन निरंतर जारी है। अब भी ये नजर बाग पैलेस में उनके वंशजों द्वारा किया जाता है। इसमे नबी की सीरते पाक पर मिलादे खलील की सात जिल्दै नस्र व नज्म में लिखी है, जो बेहद खूबसूरत लहजे में पूरे एहतेमाम के साथ सात दिनों तक पढ़ी जाती है।

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