
विकसित भारत @2047 के लिए बैंकिंग के भविष्य पर
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संबलपुर। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) संबलपुर ने “मेटावर्स बैंकिंग और वित्तीय परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन” (ICMBFT 2025) का आयोजन “भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद” (ICSSR) के सहयोग से किया। इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों, उद्योग जगत के दिग्गजों, फिनटेक विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। सम्मेलन का विषय था – “विक्सित भारत @2047 के लिए मेटावर्स बैंकस्केप: ट्रेंड्स, टेक्नोलॉजी और ट्रांसफॉर्मेशन”, जिसका उद्देश्य वित्तीय क्षेत्र में मेटावर्स की भूमिका और संभावनाओं को उजागर करते हुए, अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से बैंकिंग और वित्तीय समावेशन के भविष्य को परिभाषित करना था।
सम्मेलन के दौरान मेटावर्स, वेब3, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों पर गहन चर्चा हुई, जो वित्तीय सेवाओं को तेज, अधिक समावेशी और पिछड़े क्षेत्रों तक पहुंचाने में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। मेटावर्स बैंकिंग (वर्चुअल बैंकिंग ब्रांच का संचालन) लोगों के वित्तीय सेवाओं के अनुभव को पूरी तरह से बदल रही है। वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) जैसी तकनीकों की मदद से बैंक अब 3डी वर्चुअल स्पेस तैयार कर रहे हैं, जहां ग्राहक अपने घर से ही खाता प्रबंधन, लेनदेन, भुगतान और वित्तीय सलाह प्राप्त कर सकते हैं। यह इंटरएक्टिव और व्यक्तिगत अनुभव विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ग्राहकों से जुड़ाव बढ़ा रहे हैं।
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें शामिल थे – डॉ. प्रवीण के. चौधरी, ग्लोबल ऑपरेशन्स डायरेक्टर, डिजिटल बिजनेस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज; सागर वैष्णवी, मैनेजर, बीसीजी वैंटेज, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप; डॉ. अतुल त्रिपाठी, ऑनरेरी एडजंक्ट फैलो, नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन, भारतीय नौसेना; और समरेन्द्र मोहंती, ग्रुप सीआईओ, मेलस्टार इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड। सम्मेलन में 100 से अधिक प्रतिभागियों और 80 से अधिक शोध-पत्रों की प्रस्तुति ने मेटावर्स बैंकिंग पर विविध दृष्टिकोण को दर्शाया।
आईआईएम संबलपुर के निदेशक प्रो. महादेव जायसवाल ने कहा, “आज हम मेटावर्स की असीम संभावनाओं को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। एआई-सक्षम केस स्टडीज, हाईब्रिड-बोर्ड क्लासरूम और स्मार्ट लर्निंग इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से हम शिक्षा के भविष्य को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। ये तकनीक छात्रों को सह-निर्माण का अवसर देती हैं, वास्तविक समस्याओं का समाधान करने में मदद करती हैं और उन्हें गवर्नेंस, पब्लिक सर्विस और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के लिए तैयार करती हैं। हमारे एआई-सक्षम क्लासरूम और हाल ही में शुरू किया गया डेटा साइंस और एआई में बैचलर्स प्रोग्राम ऐसे कई प्रयासों का हिस्सा है, जो छात्रों को डिजिटल भविष्य के लिए तैयार कर रहा है। उद्योग, शिक्षा और शासन को मिलकर 2047 तक उन्नत भारत के निर्माण में भूमिका निभानी होगी।”
सम्मेलन में “भारत में मेटावर्स बैंकिंग और वित्तीय इकोसिस्टम का भविष्य” विषय पर पैनल चर्चा हुई। इस दौरान डॉ. प्रवीण के. चौधरी ने कहा, “भविष्य की बैंकिंग क्लाउड स्केलेबिलिटी, ज़ीरो ट्रस्ट सिक्योरिटी और इमर्सिव यूजर एक्सपीरियंस के मेल में है, जिससे हर व्यक्ति के लिए टेक्नोलॉजी सुरक्षित और आकर्षक बन सके।” वहीं समरेन्द्र मोहंती ने कहा, “वर्चुअल बैंकिंग में नवाचार के लिए सबसे पहले ग्राहक की जरूरतों और व्यवहार को डेटा के माध्यम से समझना जरूरी है। ग्राहक की समझ के बिना कोई भी तकनीक बेअसर है।” डेटा सुरक्षा और साइबर सिक्योरिटी पर चर्चा करते हुए डॉ. अतुल त्रिपाठी ने कहा, “मेटावर्स और एआई के युग में डेटा सुरक्षा और साइबर सिक्योरिटी अब कोई विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्यता बन गई है। यह भविष्य के लीडर्स के लिए रिस्क और कंप्लायंस एक्सपर्ट बनने का सुनहरा अवसर है।” सत्र का संचालन सागर वैष्णवी ने किया।