मनोज वाजपेई ने तोड़ी इमेज,पत्रकार की भूमिका में नज़र आएंगे

बॉलीवुड
नवीन जैन
स्वतंत्र पत्रकार, इंदौर (एमपी)
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अच्छी सूचना है कि चर्चित टाइप्ड अभिनेता मनोज वाजपेई अपनी सालों पुरानी बनी इमेज से बाहर आ रहे हैं।वे अब किसी पुलिस अधिकारी या गुप्तचर एजेंसी के अफसर की बजाय एक खोजी पत्रकार के रूप में जल्दी ही ओटीटी पर नजर आएंगे।कभी ट्रेजेडी किंग कहे जाने वाले अभिनय के भगवान स्वर्गीय दिलीप कुमार ने भी ऐसा ही किया था। मशाल नाम की फिल्म उन्होंने वहीदा रहमान के साथ की थी, जो हर नए पत्रकार को यू ट्यूब पर देखनी चाहिए। मशाल एक अखबार का नाम था, जिसके संपादक विनोद यानी दिलीप कुमार खुद थे और सहायक संपादक रति अग्निहोत्री थी और साथ में अनिल कपूर भी थे। बहरहाल, मनोज वाजपेई की इस नई फिल्म का नाम डिस्पेच है, जिसमें वे एक खोजी पत्रकार की तरह आठ हजार करोड़ रुपए का घोटाला (स्कैम) उजागर कर रहें हैं।इस विषय को देखकर सबसे पहले मैग्सेसे पुरस्कार विजेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कई किताबों के लेखक, इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक अरुण शौरी की याद आती हैं, जिन्होंने स्वर्गीय राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में बोफोर्स तोप घोटाला उजागर करके राजीव गांधी की सरकार ही गिरा दी थी।मनोज वाजपेई की इस बहु महत्वाकांक्षी फिल्म का 87 सेकंड लंबा ट्रेलर रिलीज हो चुका है। मनोज वाजपेई का इस फिल्मी में नाम है जॉय बेग। उनके अपार्टमेंट में खिड़की के शीशे टूटने से फिल्म की पूरी कहानी शुरू होती है।
इस स्टोरी पर काम करते हुए मनोज को धमकी मिलती है कि अगली बार पत्थर नहीं, गोली चलेगी। वैसे भी इस तरह की धमकियां पत्रकारों को अक्सर मिलती रहती हैं। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता मशहूर टीवी पत्रकार रवीश कुमार को तो इस तरह की धमकियां मिलना रोजमर्रा की घटनाएं हो गईं हैं ,लेकिन उनके जैसे कुछ चुनींदा पत्रकार हर युग में ऐसे रहें हैं जिन्हें अपने पत्रकारीय उसूलों के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने में भी कोई हिचक नहीं होती।हमारे देश के अलावा दूसरे कई देशों में घोटालों पर काम करने वाले पत्रकारों की हत्याएं तक हो गई हैं, लेकिन कुछ चुनींदा पत्रकार हर युग में ऐसे रहें हैं जिन्हें अपनी जान की भी परवाह नहीं होती।
हाल में मीडिया पर ही आधारित एक ऐसी ही फिल्म पर्दे पर आई थी जिसका नाम था धमाका।इस फिल्म में कार्तिक आर्यन ने एंकर की और उनकी तलाकशुदा पत्नी ने एक पुल निर्माण के घोटाले में स्पॉट रिपोर्टिंग की भूमिका निभाई थी।इस फिल्म का अंत भी बड़ा दुखद होता है, किंतु दोनों ही पत्रकार अपने दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ते और उनकी जान तक चली जाती हैं।फिल्म सत्याग्रह में अमिताभ बच्चन और अजय देवगन के लिए करीना कपूर ने टीवी पत्रकार की जो एक भूमिका निभाई थी, वो स्पॉट रिपोर्टिंग आज भी याद की जाती है। ऐसी ही एक और फिल्म थी स्कूप, जिसमें मनमाने आरोपों के तहत एक महिला पत्रकार को जबरन जेल में डालकर उस पर अत्याचार किए जाते हैं।फिल्म डिस्पेच के डायरेक्टर हैं कनु बहल।इस फिल्म के टीजर में एक टेलीफोनिक संवाद बड़ा चर्चित हुआ है, जिसमें कहा जा रहा है कि जॉय सर, आप पर बहुत सारे मामले दर्ज किए जाएंगे। उनसे लड़ने में आपको सात पीढ़ियां और 150साल लगेंगे।टीजर मनोज वाजपेई के इस डायलॉग से समाप्त हो जाता है कि एक बार कहानी तो सामने आ जाए। इस फिल्म की कहानी कनु बहल के साथ रोनी एसपुरुवाला ने लिखी हैं और आरएसवीपी मूवीज ने इसका निर्माण किया है।सिनेमेटोग्राफी संजय दीवान की है, और एडिटिंग समर्थ दीक्षित ने की है।डिस्पेज फिल्म का प्रीमियर तेरह दिसंबर को जी 5पर रिलीज हो सकता है।
मनोज वाजपेई ने भले ही एक सीमा में बंधकर सालों अभिनय किया हो। उनका व्यक्तित्व भी ऐसा नहीं है कि किसी रोमेंटिक फिल्म में किसी बाग बगीचे में पूर्व अभिनेता जितेंद्र की तरह जंपिंग जैक के रूप में हीरोइन के साथ नाचते_कूदते नजर आएं और बेचारी हीरोइन का शूटिंग के दौरान ही हाथ उतर जाए,लेकिन यह तो मानना ही पड़ेगा कि मनोज बाजपेई ने अपने अभिनय जा एक नया व्याकरण खुद रचा है, जिसकी कोई टक्कर आज तक नहीं मिलती। वे सबसे पहले सत्या फिल्म में भीकू म्हात्रे के रूप में नजर आए थे।यह फिल्म अवैध वसूली और मुंबई के गेंगवार पर आधारित थी।जब ओटीटी पर मनोज वाजपेई की वेब सीरीज द फैमिली मेन वन रिलीज हुई थी, तो दुनियाभर के लोगों ने ही नहीं छोटे छोटे बच्चों ने उनकी पुरानी फिल्में टीवी पर ढूंढ ढूंढ कर देखी थी। मनोज वाजपेई मूलतः बिहार के रहने वाले हैं।अपने पिता के साथ उन्होंने खेत में हल जोते है। जब एक्टिंग की सूझी तो दोस्तों से पैसे उधर लेकर दिल्ली चले आए। आगे का किस्सा बड़ा रोचक है। विश्व प्रसिद्ध नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (नई दिल्ली) में जब उन्होंने पहली बार टेस्ट दिया तो उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया।दिल पर ऐसी चोट लगी कि आत्महत्या करने को उतारू हो गए। आप यकीन जानिए कि उनके कमरे में दो या तीन दोस्त पूरे चौबीसों घंटे पहरा देते थे कि कहीं ये भाई मेरा खिड़की से कूदकर वाकई जान न दे दें किंतु हिंदी फिल्मों का ये सौभाग्य देखिए कि अगले साल ही सेकंड अटेम्प्ट में मनोज वाजपेई राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में तीन साल के कोर्स के लिए सिलेक्ट हो गए।उनकी फिल्मी सफलताओं की आगे की कहानी कदाचित आप सभी जानते हैं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)

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