कई मैन्युफर्क्चस को “बीकानेरी भुजिया” के इस्तेमाल करने से रोका

बीकानेर भुजिया उद्योग संघ के भौगोलिक संकेतक (जी.आई) बीकानेरी भुजिया को पहचान/मान्यता देते हुए दिल्‍ली के जिला न्यायालय ने कानपुर (उ.प्र. एवं सोनीपत (हरियाणा) के कई मैन्युफर्क्चस को “बीकानेरी भुजिया” के इस्तेमाल करने से रोका
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बीकानेर। जिला न्यायालय पटियाला हाउस नई दिल्‍ली ने हाल ही में बीकानेर भुजिया उद्योग संघ जो कि बीकानेर में स्थित प्रमुख भुजिया निर्माता द्वारा जियोग्राफिकल इन्डिकेशन के अधीन “बीकानेरी भुजिया” को पंजीकृत एवं प्रभावी करने के उद्देश्य से वर्ष 2008 मे “बीकानेरी भुजिया” को जी.आई. एक्ट के अन्तर्गत रजिस्ट्रीकृत करवाया गया था। संघ द्वारा पेश किये वाद में स्नैक्स एवं नमकीन ट्रेडर्स एवं उत्पादकों मैन्युफैक्चर्स एवं ट्रेडर्स जिसमें से एक कानपुर (उ.प्र) जो कि “बीकानेरी भुजिया” का तीन अन्य सोनीपत (हरियाणा) जो कि “बीकानेरी भुजिया” का उपयोग करते हुए नमकीन का विक्रय कर रहे थे जबकि वास्तव में उक्त उत्पाद भुजिया बीकानेर मे निर्मित नहीं होने के आधार पर माननीय न्यायालय ने उक्त चारों कम्पनियों पर “बीकानेरी भुजिया” के शब्द के उपयोग पर रोक लगा दी।
एक विनिर्माता द्वारा कानपुर (उ.प्र) शेष तीन विनिर्माता इकाईयों द्वारा सोनीपत (हरियाणा) स्थित इकाई में बीकानेरी भुजिया शब्द का उपयोग किया जा रहा है।
उक्त व्यापारी अपनी पैकिंग में जी.आई. मार्क “बीकानेरी भुजिया” का उपयोग करते आ रहे हैं। जिससे आम जनता भ्रमित होती है कि उक्त भुजिया उत्पाद बीकानेर में ही बनाया गया है। जबकि उक्त सभी इकाईयों का किसी भी प्रकार से बीकानेर (राजस्थान) एवं बीकानेरी भुजिया से कोई संबंध नहीं है।
“बीकानेरी भुजिया” जी.आई. चिन्ह का अवैध रूप से उक्त इकाईयों द्वारा इसलिए उपयोग किया गया ताकि उपभोक्ताओं के दिमाग में यह तथ्य उजागर हो कि उक्त उत्पाद बीकानेर क्षेत्र का मूल उत्पाद है और संघ द्वारा उत्पाद की प्रमाणिकता को सिद्ध करता है। श्री शैलेन भाटिया एडवोकेट ने बीकानेर भुजिया उद्योग संघ की ओर से पैरवी करते हुए उक्त सभी वादों में क्लेम (दावा) किया कि शब्द “बीकानेरी भुजिया” उनके क्लाइंट “बीकानेरी भुजिया” उद्योग संघ के पक्ष में जियोग्राफिकल इन्डिकेशन ऑफ गुडस्‌ (रजिस्ट्रेशन एण्ड प्रोटेक्शन) एक्ट 1999 के अधीन पंजीकृत है और ऐसी इकाईयां जो कि केवल बीकानेर क्षेत्र में स्थित हैं और संघ के सदस्य हैं तथा जिन्होने पूर्व में ही संघ से अनुमति और संबंधित कानून के अधीन उपयोगकर्ता के अधिकार प्राप्त किये हैं। वे ही जी.आई. मार्क का अपने निर्धारित उत्पाद पर ही उपयोग कर सकते हैं।
श्री भाटिया ने न्यायालय के समक्ष बहस की कि उपरोक्त समस्त इकाईयों द्वारा “बीकानेरी भुजिया” शब्द का उपयोग करने वालों का राजस्थान से कोई संबंध नहीं है। बीकानेर की तो दूर की बात है। उक्त कम्पनियों के उत्पाद कानपुर (उ.प्र.) एवं सोनीपत (हरियाणा) में विभिन्‍न फैक्टियों में तैयार किये जा रहे थे। और उक्त इकाईयों ने अपने उत्पाद पर “बीकानेरी भुजिया” शब्द का उपयोग करने से पूर्व में संघ से ना तो कोई अनुमति ली और ना ही कोई अधिकार प्राप्त किये थे एवं बीकानेर से बाहर स्थित होने के कारण अधिकार प्राप्त नहीं कर सकते थे। श्री भाटिया ने तर्क प्रस्तुत किया कि उपरोक्त इकाईयों के उत्पाद यदपि “बीकानेरी भुजिया” की अर्हता प्राप्त नहीं करते और ना ही उन्हें “बीकानेरी भुजिया” कहा जा सकता है। जैसा कि वे कानपुर (उ.प्र), सोनीपत (हरियाणा) आधारित उत्पाद है, उपरोक्त कम्पनियां अपने उत्पादों पर “बीकानेरी भुजिया” शब्द का उपयोग कर जनता को भ्रमित कर रही थी।
न्यायालय ने श्री भाटिया द्वारा प्रस्तुत तमाम दस्तावेजात एवं बहस/ तर्क पर सावधानी पूर्वक विचार करने के पश्चात्‌ विश्व प्रसिद्ध बीकानेरी भुजिया के सच्चे और ईमानदार निर्माताओं और ट्रेडर्स के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और संघ के पक्ष में जी.आई. रजिस्ट्रेशन को सुरक्षा प्रदान करते हुए प्रत्येक केस में विस्तृत आदेश पारित किया। न्यायालय ने उपरोक्त इकाईयों के जिन उत्पादों पर “बीकानेरी भुजिया” उपयोग किया गया को तत्काल प्रभाव से उत्पाद के विनिर्माण, विक्रय, प्रदर्शन एवं एक्सपोर्ट करने आदि की समस्त गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
कमीशनर ने चारों औद्योगिक इकाईयों के परिसर से “बीकानेरी भुजिया” जी.आई. मार्क से संबंधित समस्त उत्पादों को जब्त किया। प्रत्येक प्रतिष्ठान (कानपुर एवं सोनीपत) की इकाई से ऐसा समस्त माल जिस पर शब्द “बीकानेरी भुजिया” अंकित अथवा उलल्‍लेखित था, वह जब्त किया गया। जिन कम्पनियों का माल जब्त किया गया उनकी प्रतिक्रिया आनी शेष है। (प्रेस नोट)

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