


मीरा का मायका कुडकी गांव में था। इनका जन्म 1498 में हुआ था। इनके पिता का नाम रतन सिंह था। जो नागौर के मेड़ता के राजा राव दूदा के चौथे पुत्र थे। इनका विवाह चित्तौड़गढ़ के शासक राणा संग्राम सिंह के पुत्र भोज राज सिंह के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात भी मीरा कृष्ण भक्ति में लीन थी।
मीरा मंदिर का निर्माण 15 वीं शताब्दी में चित्तौड़ के शासक महाराणा कुंभा ने करवाया था। मीरा ने इसी मंदिर में कृष्ण भक्ति की थी। मंदिर की वास्तुकला इंडो आर्यन शैली की है। इसमें सुंदर नक्काशी द्वार, स्तंभ, अलंकृत छते और मीराबाई के जीवन दृश्य को दर्शाने वाले भीति चित्र हैं। यहां मीराबाई की विरासत से जुड़ने वाले भक्त आते हैं। मंदिर में एक संग्रहालय है जहां मीराबाई के जीवन और शिलाओ से जुड़ी कलाकृतिया ओर पांडुलिपिया प्रदर्शित है। मीराबाई की आदमकद मूर्ति भी स्थापित है। यह उन मंदिरों में से एक है जो अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण से भी बच गया था।
संकलन : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।