बुझी हुई उम्मीदों का सहारा होता है पीर ओ मुर्शद : आबिद अली चिश्ती

जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन राजस्थान इकाई प्रदेश अध्यक्ष सय्यद आबिद अली चिश्ती ने कहा कि पीर अपने मुरीद के अवगुणों को दूर करता है और उसको तराशता रहता है. एक दिन ऐसा भी आता है जब पीर की मेहनत से मुरीद के सारे अवगुण खत्म हो जाते है तब पीर ख़ुशी में झूम उठता है! और वो फक्र करता है। अपने मुरीद पर इसके बाद में पीर और मुरीद दोनो खुदा का शुक्र अदा करते है यह शब्द आबिद अली चिश्ती साहब ने पत्रकारों से वार्तालाब में कहे इसके बाद में असली दौर शुरू होता है जो कि लोहे के चने चबाने जैसा होता है इस परीक्षा में खुदा को राजी करना पड़ता है। इस परीक्षा में भी सफल हो जाते है तो उनकी दुनिया और आख़िरत बनने लगती है।
जब किसी गरीब जरूरतमन्द आदि की मदद के लिए पीर और मुरीद जब खुदा के आगे हाथ उठाते हैं तो खुदा उनकी दुआए कबूल कर लेता है और जिसके हक़ में भी दुआएं करते है वो पूरी हो जाती है।
उल्लेखनीय है कि खुदा का राज़ और कुर्ब पाने के लिए अव्वल शर्त अदब का होना जरूरी है दूसरा पीर से बे इंतेहा मुहब्बत अकीदत वफादारी का होना शर्त है क्यू के ये तुमे मकामें मंजिले मकसूद का रास्ता तय कराता है और राज़े खुदा से आरस्ता कराते है इसी लिए पीर से वफा का होना जरूरी है और अपने शैख से कबी झूट ना बोले शैख से कबी मज़ाक ना करे शैख से कबी फ़िज़ूल यहां वहा की बाते करके वक्त ना ज़ाया करे शैख की महफ़िल या खानकाह मैं जाए तो बड़े अदब और अकीदत से बैठे ये सोचे के शैख पर हमारे दिल का हाल रोशन है और बस उन्ही को तकता रहे यहां वहा देखकर अपने आपको बर्बाद ना करें यहा वहा देखने से हमारे अकीदत मैं कमजोरी आजाती है क्यू के बुज़रुगो के दर पर अज़माईश के तोर पर फीतने भी आजाते है कही उनको देख कर हम बे अदब ना होजाए और हमारा भी नाम कही मुनकिरो मैं ना आजाए बड़ा नाज़ुक मामला है ध्यान रखे कही सालो की महन्त ज़ाया ना होजाएं शैख से किया हुआ अहद जो ज़िक्र फिक्र रियाज़त तुम्मे डाली गई है इसमें मशगूल रहे दिन मैं कोई एक वक्त मुरकबा करे कम से कम १ घंटा तन्हाई मैं शैख का तसव्वुर करे तसव्वुर ए शैख हज़ारो खयालों से दूर करके एक सूई मैं ले आता है जो अल्लाह तक पोछने का रास्ता है बड़ा गोरों फिक्र का मकाम है रात के अंधेरों मैं खुदा का ज़िक्र करे जैसे पीर ने ज़िक्र का तरीका बताया है उसी तरा करे ना के अपनी मर्जी से करे और पीर के दामन को मजबूती से पकड़े रहे जितना ज़ादा तुमारा तसव्वुर होगा उतना ही मजबूत निस्बत होगी हमेशा खिदमते खल्क करता रहे प्यासो को पानी पिलाए भूखों को खाना खिलाएं मखलूक के हक मैं दुआए करे शैख के लिए उम्र दराज़ की दुआए करे, वालिद वालिदेन की खिदमत करे और मरहूम मरहुमिन के लिए इसाले सवाब करता रहे अल्लाह अपने महबूबो मैं शुमार अता फरमाए हमे कामयाबी वा कामरानी अता फरमाए कल्ब मुनव्वर वा मुजल्लाह अता फरमाए।

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