ईसरदा बांध विस्थापित किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी

अरशद शाहीन
daylifenews.in
टोंक। ईसरदा बांध अध्यक्ष जमनालाल माली, किसान महापंचायत युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में चल रहा आन्दोलन। लिखित में मिट्टी एवं खेतों की फसल समाप्ति आजिविका को प्रभावित नहीं करने एव मुआवजा की मांग को लेकर आन्दोलन शुरू हुआ था जो पांच दिवस से चल रहा है बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष की भागीदारी सुनिश्चित रहती है।
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा -19 एवं अवार्ड में एक वर्ष से अधिक समय लगने के कारण किसानों ने 2014 के स्थान पर वर्तमान की डीएलसी रेट से सम्पत्ति एवं परिसम्पतियों का मुआवजा देने की मांग रखीं हुईं हैं । राजस्थान सरकार से समय बढ़ाने के बाद भी समय पर अधिग्रहण की कार्यवाही नहीं हुई। नियमों के विरुद्ध जाकर 28-07-2017 को धारा -19 की कार्यवाही करतें हुए अवार्ड 02-10-2018 को जारी किया गया। जिसमें एक वर्ष से अधिक समय लग गया। जबकि पूर्व में ही एक वर्ष की अवधि बढ़ा चुकें थें ईसरदा बांध परियोजना अधिकारी। अधिक समय लगने के कारण भूमि अधिग्रहण कानून -2013 की धारा -25 के अनुसार भूमि के अर्जन की समस्त प्रक्रियाएं व्यपगत हो गई।
जबकि बांध निर्माण से पूर्व भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही के लिए विज्ञप्ति प्रकाशन दिनांक 04-04-2015 थी। अधिक समय लगने के दृष्टिगत विज्ञप्ति प्रकाशन दिनांक को अधिनियम की धारा -19(7) के बिन्दु संख्या 3 के तहत 6 माह बढ़ाई जाने की स्वीकृति 22-03-2016 को बढ़ाई गई। दूसरी बार 28-09-2016 को अधिक समय लगने के लिए समय सीमा बढ़ाई गई जिसकी 03-04-2017 तक दिनांक थी। यहीं नहीं सवाई माधोपुर के चार गांवों को 258.5 एल आर मीटर का मुआवजा दिया गया। टोंक ज़िले के गांवों को 256 एल आर मीटर तक ही मुआवजा दिया गया। ईसरदा बांध परियोजना अधिकारी अपनी सुविधानुसार काम करतें रहें कानून को नजरंदाज करतें रहें। कानून के अनुसार टोंक, सवाई माधोपुर के 12 गांवों का मुआवजा वर्तमान आधार पर निर्धारण किया जाना अपरिहार्य है।

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