अभियुक्त और परिवादिया दोनों शादीशुदा थे तथा आर्य समाज में विवाह रचाया था
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश फागी कीर्ति सिंहमार ने करीब 14 साल पुराने प्रकरण में संदेह का लाभ देते हुए दुष्कर्म के अभियुक्त मदनलाल पुत्र किशन लाल निवासी नाचनीपुरा थाना दूदू जिला जयपुर को अपराध अंतर्गत धारा 342, 344, 366, 376 भारतीय दंड संहिता के आरोपों से दोष मुक्त कर दिया। न्यायाधीश ने अपने फैसले में लिखा कि समस्त तथ्यों की विवेचना करने से दर्शित होता है कि अभियुक्त द्वारा पीड़िता को जबरन कमरे में बंधक बनाकर उसका 10 दिन से अधिक समय तक परिदोष नहीं किया ना ही पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाने के आशय से उसका अपहरण कर बलात्कार किया, परिवादिया खुद की सहमति से अभियुक्त के साथ गई व उसके साथ पत्नी के रूप में निवास किया व आर्य समाज में शादी की। अभियोजन पक्ष अभियुक्त के विरुद्ध अपराध को प्रमाणित करने में असफल रहा। अभियोजन पक्ष में न्यायालय को बताया था कि पीड़िता की ओर से अभियुक्त को कोई प्रेम पत्र नहीं लिखा ना ही कई को पर्सनल डायरी संधारित की। अभियुक्त ने जो डायरी व पत्र पेश किए हैं वह फर्जी तैयार किए गए हैं। अभियुक्त ने पीड़िता से जबरन दबाव बनाकर आर्य समाज में शादी की थी जिसकी साक्षी पीड़िता ने दी है। आर्य समाज में की गई शादी विधिक रूप से मान्य ही नहीं है। पीड़िता पूर्व में शादीशुदा थी जबरन उसे अविवाहित बताकर शादी की गई। अभियुक्त के अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह शेखावत ने न्यायालय को बताया कि घटना के करीब 1 वर्ष बाद परिवादिया की ओर से न्यायालय में इस्तगासा प्रस्तुत कर मामला दर्ज कराया गया था तथा विलंब का कोई कारण भी नहीं बताया। वह बिना बताए अपने ससुराल वालों के घर से निकल गई थी, ससुराल वालों की ओर से गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जो संदेह की श्रेणी में आता है । पुलिस की ओर से रिपोर्ट दर्ज होने के करीब 5 माह बाद न्यायालय में चालान पेश किया गया था। इस पर दोनों पक्षों की बहस, तर्कों व दस्तावेजों के आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त को दोष मुक्त किया।