50 लाख का ओपीडी भवन अस्पताल परिसर में बना शोपीस
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। यहां सांभर सीएचसी को प्रदेश सरकार की ओर से उप जिला अस्पताल में क्रमोन्नत किये कई माह हो चुके हैं, लेकिन सबसे जरूरी सर्जन के पद पर अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है। हड्डी रोग विशेषज्ञ की कमी कई वर्षों से खल रही है। सांभर उपखंड मुख्यालय पर स्थित इस सरकारी अस्पताल पर क्षेत्र के हजारों लोग सामान्य मौसमी बीमारी से लेकर अनेक बीमारियों का इलाज व स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए निर्भर है। सरकार की ओर से उप जिला अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन भवन का विस्तार अथवा नवीन भवन बनाने के लिए अभी तक कोई खाका तक तैयार नहीं हुआ है यानी कागजों में तो अस्पताल क्रमोनत हो गया लेकिन कुछ सुविधाओं को छोड़कर आज भी अनेक सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। करीब 50 लाख से पृथक से ओपीडी भवन बनकर खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि कुछ काम बाकी है। यहां ओपीडी का आंकड़ा 800 से 1000 होने तथा वर्तमान में गैलरी में खड़े होने वाले मरीजों की भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि इसका दबाव कम करने के लिए अस्पताल परिसर में ही पृथक से ओपीडी भवन इसीलिए ही बनाया गया था ताकि चिकित्सकों व मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े लेकिन अभी तक यह नवीन ओपीडी भवन चालू नहीं हो सका है। खास बात तो यह भी बताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए उस वक्त विधायक रहे निर्मल कुमावत ने आनन-फानन में ही अर्ध निर्मित भवन का ही शिलान्यास तक कर दिया था जो आज तक चालू ही नहीं हो सका है। इसके अलावा करीब डेढ़ माह पहले यहां पर सोनोलॉजिस्ट के पद पर डॉक्टर आकांक्षा विजयवर्गीय ने ज्वाइन तो कर लिया लेकिन सोनोग्राफी मशीन नहीं होने से वह ठाली बैठी हुई है। बताया जा रहा है कि यहां सोनोग्राफी मशीन नहीं आए इसके लिए कोई ना कोई बाहरी तत्व इसमें अड़ंगा लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं, यह कयास इसलिए भी लगाया जा रहा है कि कुछ वर्षों पहले जब अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन आई थी तो ऐसे लोगों को यह बात हजम नहीं हुई और राजनीतिक दबाव माने अथवा कोई न कोई कारण पैदा करके उस मशीन को वापस जयपुर मुख्यालय भिजवा दिया गया। एक दशक बाद यहां पर सोनोलॉजिस्ट की नियुक्ति हुई तो अब मशीन नहीं आ रही है इस मशीन का लफड़ा क्या चल रहा है यह आमजन में अब चर्चा का विषय बन चुका है। दुर्घटना के केसेस में हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं होने से यहां से सीधे ही लोगों को रेफर किया जाता है जो काफी कष्टकर होता है और अनेक दुर्घटना के मामले तो लास्ट स्टेज तक पहुंच जाते हैं, जबकि यहां पर एनेस्थीसिया के पद पर भी चिकित्सक कार्यरत बताए जा रहे हैं लेकिन उनकी सेवा का लाभ पूरी तरह से मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराने के लिए विभागीय पत्राचार भी केवल औपचारिकता ही सिद्ध हो रहे हैं।