
जाफ़र लोहानी
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जमवारामगढ़ (जयपुर)। तहसील-जमवारामगढ़, जिला-जयपुर, चाचा आईएएस डॉ हरसहाय मीना, चाची सुमन मीणा पंचायत समिति सदस्य ने अपने भतीजे (भाई के पुत्र) देवेन्द्र के लगन टीका एवम् दहेज मुक्त शादी करने की अनूठी पहल की है। सभी नेगचार (रस्म-रिवाज )एक रुपया लेकर निभाई गई। किसी भी प्रकार का कोई दहेज यथा-बर्तन, फर्नीचर, वाहन एवं अन्य कोई सामान तथा कैश नहीं लिया गया।
लड़की पक्ष आचुकी (किरणं) (सुपुत्री कल्ली देवी एवं रामजीलाल ब्याड़वाल) (सुपौत्री स्व. श्रीमती छोटा देवी एवं स्व. सूरजमल ब्याड़वाल) निवासी : ग्राम-चावण्डिया, तहसील-आंधी, जिला-जयपुर निवासी हैं, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से दहेज मुक्त शादी की रस्म पूरी करनी की आपसी सहमति बनाईं है,
आपको बता दें इस मुहिम में बराबर भागीदारी सुनिश्चित लड़की पक्ष वालों ने भी की है।
यह भी उल्लेखनीय है कि लड़की पक्ष का परिवार साधारण किसान परिवार है। इस पहल का स्वागत करते हुए समाज में एक अच्छा संदेश देना बेहद अच्छी मिसाल कायम की है,वहीं आदिवासी मीणा समाज में हीं नहीं अन्य समाजों में इस मुहिम की सराहना करते हुए जमकर लोग लड़का-लड़की दोनों पक्षों को जमकर बंधाई दें रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर चर्चा करते हुए लोग ऐसे मुहिम का स्वागत करते हुए समाज हितों में अच्छा निर्णय बता रहे हैं।
लड़के के चाचा आईएएस डॉ हरसहाय मीना ने की मुहिम की पहल लड़के पक्ष में दूल्हे के चाचा आईएएस डॉ हरसहाय मीना की दहेज मुक्त वैवाहिक संबंधों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका मानीं गई है। डॉ हरसहाय मीना आईएएस व लड़के की चाची सुमन मीणा पंचायत समिति सदस्य मानोता की बड़ी भूमिका मानीं जा रही हैं दहेज़ मुक्त शादी करने में आईएएस डॉ हरसहाय मीना सुमन मीणा ने दहेज प्रथा पर संदेश देते हुए बताया कि ऐसे ही लड़का-लड़की दोनों पक्षों को आपसी सहमति से दहेज मुक्त शादियां करने के लिए आगे आना चाहिए, बिचौलियों व किसी अन्य बीच के व्यक्ति को ना रखकर सीधे तौर पर लड़का-लड़की दोनों पक्षों को शादी-विवाह (वैवाहिक) संबंधों पर खुलकर चर्चा कर आपसी सहमति बनाईं जानी चाहिए जिससे की किसी गरीब परिवार पर बेवजह आर्थिक भार ना आए। साथ ही आपस में दोनों पक्ष खुलकर एक-दुसरे के आचार-विचार को रखेंगे एक दूसरे के सामने सारी सच्चाई आ जाती हैं,इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि हमें ये रिश्ता करने लायक लगता है कि नहीं?
सगाई से पहले सब-कुछ सामने आ जाना चाहिए, ताकि फिर किसी भी प्रकार लोभ-लालच नहीं बनें समाज के लोगों में कहीं जगहों पर स्थिति में बिचौलियों द्वारा दोनों पक्षों की विचारधारा आचार-विचार के खिलाफ झूठे आडम्बर उच-नीच,बराबरी की हैसियत शब्दों से तोल-मोल करने व तगड़ा ढकोसला बाजी के तहत् शादी करने के लिए दबाव बनाने का प्रयास करते हैं जो समाज हित में किसी गरीब परिवार पर बेवजह आर्थिक भार डालना उचित नहीं है ।
लड़का-लड़की दोनों पक्षों की आपसी सहमति होनी चाहिए बिना दहेज वैवाहिक संबंधों पर, और आचार-विचार मिलें तभी वैवाहिक संबंधों को स्थापित करना चाहिए ताकि बाद में लड़का-लड़की दोनों पक्षों के बीच कोई अनबन ना बनें और कभी रिश्तों में तनाव उत्पन्न ना हो शादी के बाद भी एक दूसरे रिस्तेदारो को हमेशा एक दूसरे की मदद सुख-दुखों में भागीदार रहना चाहिए बिना लोभ-लालच के जिससे की मानवीय संबंधों में को मजबूती बनी रहें।