सांभर चिकित्सालय में एनेस्थोलॉजिस्ट के बावजूद नहीं है सर्जन

शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। उप जिला अस्पताल सांभर में दशकों से सर्जन नहीं है, जबकि यहां पर एनेस्थोलॉजिस्ट की नियुक्ति की हुई है। जब सर्जन ही नहीं है तो ऑपरेशन से पहले बेहोश करने वाले चिकित्सक का यहां रहने का औचित्य क्या रह गया है? करीब दो दशक पहले यहां पर ऑपरेशन थिएटर की तमाम सुविधाएं सरकार की ओर से मुहैया कराई गई थी। सजन के काम आनेेवाले उपकरण जो काफी बेशकीमती बताए जा रहे हैं यह क्या काम आ रहे हैं किसी को पता नहीं है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सर्जन होना चाहिए वह भी नहीं है। क्षेत्र में दुर्घटना के मामले होने पर अस्पताल प्रशासन की ओर से सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर रैफर गंभीर प्रकृति के मरीजों को किया जाता है। रोचक बात तो यह भी है कि तीन दशक बाद प्रदेश सरकार की ओर से सोनोग्राफी की मशीन इसलिए उपलब्ध करवाई गई थी कि बाहर मरीजों को अधिक धन खर्च नहीं कर फ्री में इसकी सुविधा मिल सके लेकिन 6 माह से यह मशीन नये ओपीडी भवन के कमरे में बंद इसलिए पड़ी है कि अभी तक डॉक्टर ही नहीं आया यानी सोनोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण मशीन नाकारा पड़ी है। ईएनटी लंबे समय से नहीं है, आंख नाक, गला आदि की बीमारी के मरीजों को फुलेरा अथवा अन्यत्र जाना पड़ता है। राजनीतिक दलों के लोगों को आमजन की इस पीड़ा को दूर करने में पहले भी रुचि नहीं थी और आज भी कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। क्षेत्र के लोग अपने हाल पर जीने को मजबूर है लेकिन पूर्व विधायक व क्षेत्रीय विधायक की अनदेखी आमजन पर जबरदस्त भारी पड़ रही है।

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