
आईआईटी दिल्ली का अध्ययन
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भीलवाड़ा | आईआईटी दिल्ली के हालिया अध्ययन में यह सामने आया है कि योग के साथ गायत्री मंत्र का नियमित अभ्यास मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और आध्यात्मिक आनंद को बढ़ाता है। इस शोध में भीलवाड़ा जिले के प्रसिद्ध योगाचार्य उमा शंकर शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शर्मा पूर्व में भी कोविड-19 के दौरान अमेरिका में प्रकाशित शोध में अपनी सहभागिता दर्ज करा चुके हैं।
अध्ययन एंशियंट साइंस ऑफ लाइफ जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जो दर्शाता है कि पारंपरिक भारतीय साधना पद्धतियाँ आज के तनावपूर्ण जीवन में भी अत्यंत उपयोगी हैं। अध्ययन में बताया गया कि योग करते समय जब व्यक्ति ध्यानपूर्वक सांसों की गति पर केंद्रित होता है और गायत्री मंत्र का उच्चारण करता है, तो उसका मानसिक संतुलन बेहतर होता है और शारीरिक ऊर्जा भी सकारात्मक दिशा में प्रवाहित होती है।
शोध चार माह तक चला और इसमें 18 से 86 वर्ष आयु वर्ग के कुल 1135 प्रतिभागी शामिल रहे। इन प्रतिभागियों को तीन समूहों में बाँटा गया — पहला समूह (GMY) योग और गायत्री मंत्र का संयुक्त अभ्यास करने वाले, दूसरा समूह (YP) केवल योग करने वाले और तीसरा (NP) वे लोग जिन्होंने न योग किया न ही कोई मंत्र साधना।
परिणामों में साफ देखा गया कि GMY समूह ने मानसिक स्वास्थ्य के सभी मानकों पर सबसे बेहतर प्रदर्शन किया। YP समूह ने भी सकारात्मक परिणाम दिए, लेकिन जो प्रतिभागी किसी भी साधना से नहीं जुड़े थे, उनके मुकाबले ये दोनों समूह काफी बेहतर स्थिति में पाए गए।
शोध में यह भी पाया गया कि जो लोग लंबे समय से यह साधना कर रहे थे, उनके मानसिक स्वास्थ्य स्तर और भी अधिक संतुलित और उन्नत थे। शोधकर्ताओं नितेश शर्मा, उमाशंकर शर्मा, रोहित पाण्डेय, दुश्यंत सोनी, ज्योति कुमार और राहुल गर्ग ने बताया, “योग और गायत्री मंत्र दोनों ही मानसिक शांति प्रदान करते हैं, लेकिन जब इनका संयुक्त अभ्यास किया जाता है तो यह प्रभाव कहीं अधिक गहरा और स्थायी होता है।”
इस अध्ययन ने यह प्रमाणित कर दिया है कि आधुनिक जीवन की आपाधापी में भी प्राचीन भारतीय साधनाएं, विशेषकर योग और मंत्र, मानसिक संतुलन और शांति के लिए कारगर उपाय हैं।