आरटीई में यूनिट कोस्ट बढ़ाये व बकाया का पुर्नभरण करे सरकार : मनीष यादव

विधायक ने सदन में आरटीई एक्ट के तहत प्रति बालक यूनिट कोस्ट का मुद्दा उठाया
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शाहपुरा (जयपुर)। शाहपुरा से कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने सदन में शून्यकाल में आरटीई एक्ट के तहत निजी शिक्षण संस्थानों को दी जानें वाली राशि तथा यूनिट कोस्ट में विसंगति को लेकर मुद्दा उठाया। विधायक ने कहां कि प्रदेश के सभी प्राइवेट शिक्षण संस्थान RTE ऐक्ट 2009 के तहत 25 प्रतिशत विद्यार्थीयों को निःशुल्क अध्ययन करवा रहे हैं। जिसका भुगतान सरकार द्वारा समय पर नियमानुसार दिया जाना तय है।
क्या है आरटीई एक्ट – आरटीई एक्ट तत्कालीन यूपीए सरकार के समय 2009 में लाया गया था जो देश में 1 अप्रेल 2010 से लागु हुआ। इस एक्ट के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में गरीब वर्गों के बच्चों को 25 प्रतिशत सीटों पर निशुल्क प्रवेश दिया जाता है। जिनकी फिस का पुर्नभरण सरकार द्वारा किया जाता है। वर्तमान में प्रदेश में आरटीई के तहत लगभग 50 हजार शिक्षण संस्थानों में प्री प्राईमेरी कक्षाओं में 1.46 लाख बच्चें पढ़ रहे है तथा 1 से 8 वी क्लास तक लगभग 11.66 लाख बच्चों को अध्ययन करवाया जा रहा है।
विधायक ने कहां कि वर्तमान में ऐक्ट 2009 के तहत सरकार द्वारा किए जाने वाले पुनर्भरण के समय व राशि में कई खामियां है। विधायक ने कहां कि निजी विद्यालय कक्षा PP3+, PP4+, PP5+ (कक्षा 1 से पहले कि 3 कक्षाएँ) में सत्र 2022-23, 2023-24 व 2024-25 से R.T.E. के तहत विद्यार्थीयों को निःशुल्क अध्ययन करवा रहे हैं जिनका सरकार द्वारा प्रति वर्ष भौतिक सत्यापन करवाया जाता है एवं निःशुल्क अध्ययनरत होने कि पुष्टि की जाती है, परंतु इन कक्षाओं का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है, जबकि इन कक्षाओं का 2012-13 से 2020-21 तक भुगतान दिया जा रहा था परन्तु उसके उपरांत सरकार द्वारा इनका भुगतान नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब है कि इस संबंध उच्च न्यायालय ने भी निर्देशित किया हे कि इन कक्षाओं का भुगतान सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए, परन्तु सरकार इसका भी उलंघन कर रही है।
विधायक ने कहां कि राष्ट्रीय नवीन शिक्षा नीति में भी नर्सरी कक्षाओं का अध्ययन और अध्यापन कार्य अनिवार्य किया गया है। साथ ही निजी विद्यालयों को फीस पुनर्भरण में प्रति बालक यूनिट कोस्ट 17582/- रुपये वर्ष 2016 तक दिया जा रहा था, लेकिन बीते 7 वर्षों से यह घटाकर केवल 13535/- रुपये कर दिया गया है। जो स्कूल मैनेजमेंट पर आर्थिक भार का कारण है।
विधायक यादव ने कहां कि RTE ऐक्ट 2009 के अनुसार यूनिट कोस्ट सरकारी विद्यालयों पर खर्च होने वाले प्रति बालक के औसत खर्च से निर्धारित किया जाता है। वर्ष 2024-25 के लिए NIC ने यूनिट कोस्ट का आँकलन कर कम से कम 22500/- रूपयें करनें का का प्रस्ताव संबंधित विभाग को मंजूरी के लिए भेजा था। लेकिन सरकार ने इसमें रुचि न दिखाते हुए यूनिट कोस्ट बढ़ाने के प्रस्ताव को ना मंजूर करते हुए अब भी केवल 13535/- रुपये देना तय किया है, जो उचित नही है। तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रतिकूल है। विधायक ने कहां कि सरकार प्रति बालक यूनिट कोस्ट बढ़ाकर स्कूल संचालकों का भुगतान नियमित करवाये ।

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