विवाद तमिल और कन्नड़ भाषा का

लेखक : लोकपाल सेठी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद कुछ वर्ष तक आमतौर पर दक्षिण के सभी राज्यों को मद्रास के नाम से ही माना जाता था। इन राज्यों के लोगों को मद्रासी ही समझा और कहा जाता था। कारण यह था उस समय मद्रास ही दक्षिण का सबसे बड़ा राज्य था तथा केरल को छोड़ कर आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक का नाम अभी वजूद नहीं आया था। ब्रिटिश काल में ये सब प्रदेश मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे। शायद इसी वजह से दक्षिण को मद्रास के नाम से ही जाना जाता था। हालाँकि उस समय भी मद्रास, जो बाद में बदल कर तमिलनाडु हो गया तथा राज्य की राजधानी का नाम भी मद्रास से चेन्नई हो गया, में तमिल बोली जाती थी जबकि अन्य राज्यों में तेलुगु , कन्नड़ और मलयालम बोली जाती थी . इन सभी भाषायों की अपनी अपनी लिपि थी . इतिहासकारों और भाषाविदों का कहना था कि ये भाषाएँ अपने अपन आप में अलग अलग हैं।
तमिल भाषा को छोड़ कर इन अन्य तीन राज्यों की भाषायों में संस्कृत के भरपूर शब्द है। लेकिन पिछले दिनों तमिल के बड़े अभिनेता कमल हासन ने यह कह कर विवाद छेड़ दिया कि कन्नड़ भाषा ,तमिल भाषा से ही निकली है। यह बात उन्होंने अपनी हाल ही में रिलीज़ हुई अपनी बहुभाषी फिल्म ठग लाइफ के प्रचार के दौरान कही थी। मूल में तमिल भाषा में बनी इस फिल्म को कन्नड़ भाषा में भी डब किया गया है। इसके कर्नाटक में रिलीज़ होने से कुछ दिन पहले ही हासन ने यह बात कही थी। इसको लेकर कर्नाटक में बड़ा विरोध शुरू नहीं हुआ। कन्नड़ फिल्म चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स ने घोषणा कर दी कि इस फिल्म को कर्नाटक में रिलीज़ नहीं होने दिया जायेगा। मामला कर्नाटक हाई कोर्ट तक पहुच गया। एक याचिका पर कोर्ट ने कमल हासन को तुरंत माफी मांगे के लिए कहा। कोर्ट की टिप्पणी बड़ी तलख थी। याचिका की सुनवाई करने वाली पीठ के जजों का कहना था कि कमल हासन होगे कोई बड़े पहने खां लेकिन उनको इस मामले में माफी मांगनी पड़ेगी। लेकिन इस फिल्म एक्टर ने माफी मांगने से साफ़ इंकार कर दिया। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि वे इस फिल्म को कर्नाटक में रिलीज़ ही नहीं करेंगे भले ही फिल्म निर्मातायों को कितना ही नुकसान उठाना पड़े।
एक समय था ऐसा था जब देश के पहले भारतीय वाईसराय चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने इस मामले अदालत से माफी मांगी थी। उन्होंने ने भी यह कहा था कि कन्नड़ तमिल भाषा से ही निकली भाषा है। जब इसको लेकर विरोध हुआ तो उन्होंने माफी मांगने में देरी नहीं लगाई।
इस विवाद के पीछे कई ऐतिहासिक कारण है। दक्षिण में तमिलनाडु एक बड़ा राज्य है। लम्बे समय तक इस प्रदेश की राजनीति तथा संस्कृति का दक्षिण के अन्य राज्यों में प्रभाव रहा है। साफ़ शब्दों में कहा जाये तो तमिलनाडु दक्षिण के राज्यों में अग्रज की भूमिका बनाये रखना चाहता है। एक समय था, चेन्नई, जो उस समय मद्रास के नाम से जाना जाता है, फ़िल्में बनाने का एक बड़ा केंद्र था। कन्नड़, तेलुगु तथा मलयालम भाषा की फ़िल्में यहाँ बनती थी। यहाँ अच्छे स्टूडियो और तकनीकी सुविधाएँ उपलब्ध थी। इन भाषायों के फिल्माकन करने वाले कैमरामैन से लेकर तकनीक लोग स्थानीय ही होते थे। बाद में जब रामोजी राव ने हैदराबाद में फिल्म सिटी स्थापित की तो तमिलनाडु फिल्म उद्योग का बड़ा हिस्स उधर चला गया। लेकिन अभी भी चेन्नई से स्टूडियो अपने आपको हैदराबाद से अधिक उत्तम मानते है। इसलिए अभी भी कई कन्नड़ , तेलुगु तथा मलयालम भाषा की फिल्मों की शूटिंग चेन्नई के स्टूडियो में होती है।
अब फिर थोड़ी सी बात कमल हासन की करते है। वे मूलतः मलयाली भाषी है उनके पिता केरल से आकर यहाँ बस गए थे। हासन तमिल के अलावा मलयाली फिल्मों भी कम करते है। वे कई हिंदी फिल्मों भी कम कर चुके हैं और हिंदी का विरोध नहीं करते। हाँ यह जरूर कहते है कि हिंदी थोपी नहीं जानी चाहिए। देश में हिंदी के बढ़ते प्रभाव् के चलते दक्षिण का लोग खुद ही हिंदी सीखने लगेंगे। उनकी पहली पत्नी सारिका भी हिंदी भाषी है। हेमामालिनी तथा श्री देवी भी तमिलनाडु से आती है। एक समय था कि हिंदी फिल्मों में अधिकांश अभिनेत्रियाँ, जिनमें वैजंतीमाला भी शामिल है, होती थीं। मजे के बात यह कि तमिलनाडु के सबसे बड़े अभिनेता रजनीकांत मूलतः मराठी भाषी हैं। उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड है तथा कर्नाटक के मराठी बहुल इलाके बेलगवी से आते हैं, उन्होंने अपना फ़िल्मी सफर छोटी मोटी कन्नड़ फिल्मों से किया था। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)

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