जलवायु परिवर्तन कर रहा वैलेंटाइंस डे से चॉकलेट की मिठास कम

निशांत की रिपोर्ट
लखनऊ (यूपी) से
www.daylifenews.in
वैलेंटाइंस डे आते ही सबसे पहले क्या याद आता है? प्यार, गले लगना, और… चॉकलेट! लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते यह मीठी परंपरा खतरे में है। पश्चिम अफ्रीका, जहां दुनिया की 50% से ज्यादा कोको की खेती होती है, वहां बढ़ता तापमान और अनियमित बारिश किसानों को तबाह कर रही है।
चॉकलेट पर जलवायु परिवर्तन की मार
2024 में, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण कोट डी’आइवोर, घाना, कैमरून और नाइजीरिया के 71% कोको उगाने वाले इलाकों में 32°C से ज्यादा तापमान वाले दिनों की संख्या छह हफ्ते तक बढ़ गई। यह तापमान कोको की फसल के लिए घातक है।
2023 में आई भीषण गर्मी ने कोको उत्पादन को तबाह कर दिया, जिससे उसकी कीमतें 400% तक बढ़ गईं। 2024 में कोको की कीमत $12,605 प्रति टन तक पहुंच गई, जिससे छोटे किसानों और चॉकलेट उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ। कुछ छोटे निर्माता इस महंगे उत्पादन की वजह से बाजार से बाहर हो सकते हैं।
क्रिश्चियन एड ने खोली पोल
अंतरराष्ट्रीय विकास संस्था क्रिश्चियन एड ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें यह बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन किस तरह कोको उद्योग को बर्बाद कर रहा है। रिपोर्ट में दिखाया गया कि कैसे बढ़ते तापमान और अनियमित बारिश ने घाना और कोट डी’आइवोर के कोको किसानों को संकट में डाल दिया है। क्रिश्चियन एड के निदेशक ओसाई ओजिघो ने कहा, “यह आवश्यक है कि अमीर देशों की सरकारें अपनी जलवायु नीतियों में सुधार करें और कोको किसानों को वित्तीय सहायता दें ताकि वे बदलते मौसम के अनुकूल खेती कर सकें।”
ब्रिटिश चॉकलेट निर्माता एंडी सोडेन का कहना है, “जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले चार वर्षों में कोको उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कीमतें इतनी बढ़ चुकी हैं कि छोटे व्यवसाय टिक नहीं पाएंगे।”
चॉकलेट अब सिर्फ अमीरों की लग्जरी?
कई कंपनियां अब चॉकलेट में कोको बटर की जगह सस्ते विकल्प डालने लगी हैं। छोटे किसान, जिनकी जीविका कोको पर निर्भर है, वे तेजी से गरीबी की ओर धकेले जा रहे हैं।
मिठास बचानी है, तो कदम उठाने होंगे
अगर हमें चॉकलेट को सिर्फ अमीरों की चीज नहीं बनने देना है, तो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने होंगे। सरकारों को छोटे किसानों को वित्तीय सहायता देनी होगी ताकि वे जलवायु परिवर्तन के अनुरूप खेती कर सकें। साथ ही, हमें खुद भी टिकाऊ (sustainable) उत्पादों का समर्थन करना चाहिए।
इस वैलेंटाइंस डे पर जब आप चॉकलेट का एक टुकड़ा खाएं, तो यह भी सोचें कि अगले साल यह आपकी थाली में होगी भी या नहीं! प्यार और चॉकलेट दोनों को बचाना अब हमारी जिम्मेदारी है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)

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