
जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। होली का झंडा रोपने के साथ ही किसान वर्ग सार्वजनिक चौक में एकत्रित होकर ढप बजाने के साथ गीत गाकर अपनी दिन भर की थकान को मिटाते थे एक सवाल दाग़ता था तो दूसरा पक्ष उसे दागे गए सवाल का शानदार जवाब देते थे। यह क्रम देर रात तक चलता था। इस दौरान जो पार्टी जवाब नहीं देती थी वह इस प्रतियोगिता से बाहर हो जाती थी। इसके स्थान पर दूसरी पार्टी जवाब देती थी। होली का पर्व बहुत करीब होने के बाद भी खूँटी से ढप नहीं उतरे हैं।
सुप्रीम गैस एजेंसी के प्रो. इंद्र कुमार अग्रवाल,सूर्या इंजीनियरिंग के प्रो. मामराज जांगिड़, भामाशाह डी के सोनी, एडवोकेट अशोक व्यास, महिपाल गुर्जर, लोगों ने बताया की पूर्व में धप प्रतियोगिता में नाचने गाने से शारीरिक व्यायाम होता था। साथ ही आपसी प्रेम इसने भाईचारा प्रगाढ़ होता था। एक दूसरे के दुःख दर्द में काम आते थे मेहमानों की मान मनुहार होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है।