
न्यायाधीश ने मृतका के माता-पिता को प्रतिकर दिलाने हेतु लिखा
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। अपर सेशन न्यायाधीश फागी कीर्ति सिंहमार ने हत्या कि मामले में राकेश बैरवा पुत्र लालाराम निवासी सावल पुलिस थाना फागी जिला जयपुर को आरोपित अपराध अंतर के धारा 302/34 भारतीय दंड संहिता के आरोपों से संदेह का लाभ देकर दोष मुक्त घोषित किया। हत्या के मामले को लेकर 15 अगस्त 2014 को परिवादी रमेश चंद्र की तरफ से थाना फागी में अपनी पुत्री मंशा की निर्मम तरीके से हुई हत्या को लेकर पुलिस में रिपोर्ट दी थी। परिवादी की ओर से शक के आधार पर दामाद व उसके दोस्त राकेश का नाम भी लिखाया था। पुलिस थाना फागी ने अनुसंधान कर दामाद के दोस्त राकेश को ही मुख्य अभियुक्त माना था जबकि उसके पति अजय को सहयुक्त बनाकर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट फागी ने अभियुक्त राकेश के खिलाफ अपराध का प्रसंज्ञान लेकर प्रकरण एडीजे कोर्ट में रेफर किया। अपर लोक अभियोजक की ओर से न्यायालय के समक्ष अनेक गवाह व तर्क के साथ अभियुक्त को दोष सिद्ध करने का पक्ष रखा, लेकिन अभियुक्त की अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह शेखावत ने तर्क रखा कि किसी भी गवाहों ने अभियुक्त को हत्या करते हुए नहीं देखा है और न ही पत्रावली में किसी ने अपने बयान दर्ज करवाए हैं। उनकी ओर से न्यायालय में 32 न्यायिक दृष्टांत भी इस संदर्भ में पेश किए गए। न्यायालय ने मुख्यतः अपने फैसले में लिखा कि भले ही अभियुक्त के विरुद्ध आरोप साबित नहीं हुआ है किंतु प्रस्तुत साक्ष्य से परिवादी की पुत्री की हत्या होना प्रमाणित है इसलिए प्रकरण के समस्त तथ्यों व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए इस मामले को मृतका के माता-पिता को उचित प्रतिकर दिलाने हेतु प्रकरण पीड़ित प्रतिकर स्कीम के अंतर्गत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर को संदर्भित किया गया।