आत्महत्या समाधान नहीं

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जीवन में आशावादी दृष्टिकोण व सकारात्मक सोच रखे तो आत्महत्या करने का विचार ही नहीं आएगा। अवसाद को हावी नहीं होने दे।अगर अवसाद में है तो मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह ले। कोई शर्म व संकोच की बात नहीं है। समाज व परिवार के लोग अवसाद ग्रस्त व्यक्ति को भावनात्मक रूप से सहारा दे अकेलापन महसूस नहीं होने दे। आर्थिक कारण बड़ी समस्या है कोई युवा घर में बेरोजगार है तो ताने न दे। बच्चो की मानसिकता में सोशल मीडिया पर उपलब्ध सामग्री देख कर अजीब सा बदलाव आया है ऐसे में अभिभावक परिवार में समय दे,उनका उचित मार्ग दर्शन करे।बच्चो पर पढ़ाई व कैरियर के लिए अनावश्यक रूप से अधिक दबाव नहीं डाले। उनकी क्षमता व रुचि के अनुसार काम करने दे।कोचिंग संस्थान में आए दिन विधार्थी की आत्महत्या के समाचार आते हैं। सबसे बड़ी बात जागरूकता अभियान चलाया जाए। गांव व शहरो में निशुल्क काउंसलिंग संस्थान खोले जाए। हर वक्त ये सुविधा उपलब्ध रहे। घर पर जाकर भी काउंसलिंग की जा सकती है हो सकता हैं कि अवसाद ग्रस्त व्यक्ति वहा पर नही आना चाहता हो। एआई तकनीक से दूरी बनाए।इसका नकारात्मक उपयोग आत्महत्या के लिए उकसा सकता है। ऑनलाइन गेमिंग नही खेले। ये खतरनाक है शुरू में आपको जीत का लालच देंगे फिर आप को हराना शुरू कर देंगे कर्जा अत्यधिक हो जाने पर लोग आत्महत्या करने पर विवश हो जाते है। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।

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