
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। यह देवयानी तीर्थ स्थल और मंदिरों में अपनी आस्था प्रकट करने वालों को यदि आसपास झुंड के रूप में सूअर घूमते दिखाई दे तो भावनाएं आहत होना लाजमी है, लेकिन इन सब बातों से उन लोगों का कतई को लेना देना नहीं है जो हिंदू संगठन से जुड़े प्रमुख पदों पर बैठे हैं। एकादशी व पूर्णिमा पर यहां खास तौर से सैकड़ो की तादाद में स्थानीय और बाहर से आने वाले श्रद्धालु जब देवयानी के दर्शन करके मंदिरों में जाते हैं तो उन्हें आश्चर्य महसूस जब होता है जब उन्हें सूअरों का झुंड तीर्थ स्थल व मंदिरों के आसपास घूमता दिखाई पड़ता है। हद तो जब हो जाती है जब इन सुअरों का एक दल कुंड में पानी में उतर जाता है और किलोल करता हुआ वहां से खाद्य सामग्री ढूंढता रहता है। जिस कुंड के पानी से महिलाएं आचमन कर श्रद्धा से अपने पुण्य अर्जित करती है और यह कामना करती है कि उनसे जाने अनजाने यदि कोई पाप हो गया है तो देवयनी मैया उससे नैया पार लगा दे। मंदिरों के पुजारी भी खुद इस बात से बड़े आहत बताए जाते हैं कि इन सुअरो को यहां से रोकने का अभी तक कोई परमानेंट इलाज नहीं हो सका है। देवयानी तीर्थ स्थल पर स्थित सबसे प्राचीन खाटू श्याम जी के मंदिर के पीछे की तरफ जहां पर गेट लगा हुआ है इन सूअरों काफी संख्या में देखा जा सकता है। लोगों का कहना है कि जो लोग अपने आप को पदाधिकारी चाहे पार्टी का हो या सामाजिक कार्यकर्ता आखिर उन्होंने पद क्या लोगों को दिखाने के लिए या अपने फायदे के लिए ले रखा है जब जनता की सेवा नहीं कर सकते तो पद पर बने ही क्यों रहते हैं, लोगों में इस बात को लेकर काफी नाराजगी है लेकिन उनकी कोई सुनने वाला है नहीं और जिनको सुनना चाहिए, उनको न सुनता है और नहीं दिखाई दे रहा है। इस मामले में विश्व हिंदू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस बारे में हमने विभाग को नहीं बताया लेकिन गैर जिम्मेदाराना लोगों के कारण व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है।