
22 अप्रैल, पृथ्वी दिवस 2025
लेखक : रामबाबू तिवारी
लेखक जाने-माने जल योद्धा और उप्र सरकार से सम्मानित हैं।
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हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस हमें हमारी इस अनमोल धरोहर—पृथ्वी—की रक्षा और संवर्धन का संकल्प लेने का अवसर देता है। वर्ष 2025 का पृथ्वी दिवस एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होना और जैव विविधता के संकट से जूझ रही है, तब यह पृथ्वी दिवस हमें जागरूकता और क्रियान्वयन दोनों की ओर प्रेरित करता है।
2025 की थीम: “प्रकृति के साथ संतुलन”
इस वर्ष की थीम हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि विकास की दौड़ में हमने प्रकृति से कितना और क्या खोया है? अब समय आ गया है जब हमें अपने जीवन के हर पहलू में संतुलन लाने का प्रयास करें — चाहे वह उद्योग हो, कृषि हो या व्यक्तिगत उपभोग की आदतें।
वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
वनों की अंधाधुंध कटाई से जैव विविधता पर खतरा मंडरा रहा है।
प्लास्टिक प्रदूषण हमारी नदियों, महासागरों और भूमि को जहरीला बना रहा है।
बढ़ता तापमान और ग्लेशियरों का पिघलना भविष्य की पीढ़ियों के लिए गंभीर संकट का संकेत हैं।
तालाबों, नदियों में बढ़ते अतिक्रमण से जल संकट एक गंभीर समस्या बन कर उभर रही है।
क्या कर सकते हैं हम?
अधिक से अधिक पेड़ लगाना और उनके संरक्षण का संकल्प लेना।
प्लास्टिक का उपयोग कम करना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
ऊर्जा की बचत करना—सौर ऊर्जा, LED बल्ब, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग।
बच्चों और युवाओं को पर्यावरणीय शिक्षा देना ताकि वे जागरूक नागरिक बन सकें।
गौ आधारित प्राकृतिक खेती करना जिससे कम से कम उर्वरक खाद का उपयोग होगा।
एक छोटा कदम, एक बड़ा असर :
पृथ्वी दिवस एक दिन नहीं, बल्कि एक विचार है—जिसे हमें हर दिन जीना है। जब हम एक छोटा पौधा लगाते हैं, तो वह न केवल पर्यावरण को संवारता है, बल्कि एक सकारात्मक सोच की नींव भी रखता है।
आइए, इस पृथ्वी दिवस 2025 पर हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर हम एक बेहतर, सुरक्षित और हरित भविष्य की ओर कदम बढ़ाएंगे। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं))