
अरशद शाहीन
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टोंक। नवाब अमीरुदुदोला की शख्सियत पर सेमिनार आयोजित किया गया। जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने उनके जीवन तथा चरित्र पर चर्चा कि गई।
टोंक रियासत के प्रथम नवाब उस दौर के सबसे होशियार, बहादुर निडर, बानी ए नवाब टोंक नवाब अमीरुदुदोला 1798 में सिरोंज अमीर अली खान बहादुर के कब्ज़े में आ गया, अमीर अली खांन उस वक्त यशवंत राव होल्कर कि फौज में कामंडर थे, अमीर अली खान अफ़ग़ान मूल के पश्तून थे एक बहुत निडर और बहादुर सिपहसालर थे जिनका ख़ौफ़ अंग्रेज़ो और सिंधियाओ में बराबर बना हुआ था, अमीर अली खान बाहदुर की खुद की फोज में 8000 घुड़सवार सेनिक 10000 पैदल सेनिक और 200 तोपे और बंदूके थी। 1806 में नवाब अमीर अली खांन का टोंक पर कब्ज़ा हो गया ओर आधिकरिक तौर पर उन्हें नवाब घोषित कर दिया गया। 1810 में जब नवाब अमीर अली खांन नागपुर के मिशन पर थे तब कुछ वक़्त के लिये सिरोंज पर अंग्रेज़ो ने कब्ज़ा कर लिया था तब नवाब अमीर खान वापस सिरोंज आए सिरोंज से कब्ज़ा छुड़ाया। नवाब अमीर अली खान 1805 तक यशवंत राव होल्कर के साथ रहे जब यशवंत राव होल्कर ने अंग्रेज़ो से संधी कर ली तो फिर अमीर अली खान अकेले 1817 तक जंगो में मशग़ूल रहे इस वजह से सिरोंज के निज़ाम और मामलात से बज़ात खुद मुतवज्जो ना हो सके।सिरोंज पर कब्ज़ा होने के बीस बाद 1817 में नवाब अमीर अली खान बहादुर की ईस्ट इंडिया कंपनी से संधी हुई जिसने ने नवाब बहादुर को वाली ए मुल्क टोंक की हैसियत से टोंक की सनद ए रियासत पर जलवागर कर दिया।अहद ए अमीरी में सिरोंज में कुछ बड़े बदलाव और काम हुए उनमे खासतौर पर 1815 में अंग्रेज़ी डाकखाना (पोस्ट ऑफ़िस) की शुरूआत हुई,उस वक़्त बैरसिया होकर भोपाल डाक जाया करती थी, सिरोंज के बाहरी मामलो की ऐजेंटी सीहोर से तय हुई, 64 हज़ार 119 बीघा के 39 गांव जो क़स्बा ताल के माहतेहत थे सिरोंज में शामिल हुए, सिरोंज के तालाब का पुख़्ता घाट का निर्माण भी अमीरी अहद में ही हुआ था। इस अवसर पर एडवोकेट काशिफ़ जुबेरी, एडवोकेट मुजाहिद खान, साहबजादा हामिद अली खान, साहबजादा मसूद, अब्दुल्ला मुजाहिद महबूब उस्मानी,नईम मियां, मुफ्ती आदिल नदवी, सैयद साजिद टोकी, अब्दुल लतीफ,साद मसूद, गुफरान सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे हैं।