वित्तीय स्वीकृति के बावजूद छिछली राजनीति से हुई देरी
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन के समय सांभर को राजकीय कन्या महाविद्यालय की सौगात मिलने के 1 वर्ष से अधिक समय के इंतजार के बाद आखिरकार कन्या महाविद्यालय के भवन निर्माण हेतु भूमि आवंटन का मामला क्लियर हो गया। इसकी देरी का मुख्य कारण बताया जा रहा है कि भूमि आवंटन के लिए क्लीन चिट नहीं देने हेतु यहां के एक प्रशासनिक अधिकारी के ऊपर विधानसभा क्षेत्र के एक नेता का दबाव था। राष्ट्रदूत में खबर प्रशासन के बाद सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया था कि यदि कन्या महाविद्यालय के लिए शीघ्र भूमि आवंटन नहीं हुई तो एक दिन ऐसा आएगा जब इस महाविद्यालय को यहां से खत्म कर दिया जाएगा। नि:शुल्क भूमि आवंटन की मुख्य जिम्मेदारी नगर पालिका प्रशासन की होती है लेकिन नगर पालिका इसके लिए सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे नहीं आ सकी और न भूमि की उपलब्धता सुनिश्चितता कर सकी इस बात का भी खुलासा किया तो अंतिम रूप से हड़कंप मच गया, जबकि प्रदेश सरकार की ओर से नवीन भवन निर्माण हेतु 5 करोड़ की भी वित्तीय स्वीकृति दी जा चुकी थी, लेकिन भूमि आवंटन नहीं होने के कारण यह मामला अटका हुआ था। बताया जा रहा है कि नगर पालिका द्वारा भूमि आवंटन में टालमटोल करने के कारण जनहित को दृष्टिगत रखते हुए राजकीय महाविद्यालय प्रशासन की ओर से उनके खाते में दर्ज खाली पड़ी भूमि में से 6 बीघा भूमि कन्या महाविद्यालय को दिए जाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की। अब नियमानुसार 6 बीघा भूमि महाविद्यालय प्रशासन के खाते में दर्ज करने हेतु तरमीन की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है।