
भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के लिए कार्यालय खुलवाना चुनौती बन गया
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। सांभर उपखंड मुख्यालय पर अपर-जिला कलेक्टर के दफ्तर को खुलवाए जाने के लिए विगत 41 साल से बार एसोसिएशन, सांभर हर एक सरकार के समक्ष पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखता आ रहा है, लेकिन इसके बावजूद आज तक यह मांग उपेक्षित है। यद्यपि सांभर उपखंड मुख्यालय पर अपर जिला कलेक्टर के कार्यालय को खुलवाने के लिए वर्ष 1984 में क्षेत्र के पक्षकारों को राहत एवं न्यायिक कार्य में सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से विकल्प के तौर पर कोर्ट कैंप के आदेश प्रसारित किए थे, लेकिन बाद में इस व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया और विगत 4 दशकों से राजस्व मुकदमों की सुनवाई एवं उसकी अपील के लिए क्षेत्र के पक्षकारों को अपने वकीलों के माध्यम से जिला कार्यालय जयपुर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि सांभर ए.डी.एम. कार्यालय नहीं होने की वजह से मुकदमों में अनावश्यक विलंब हो रहा है तथा लोगों को सही समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है।
सांभर उपखंड मुख्यालय पर इस प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण मुकदमों में अनावश्यक विलंब हो रहा है समय पर पक्षकारों को न्याय नहीं मिलने से वे मानसिक प्रताड़ना भी सह रहे हैं। काबिले गौर है कि विगत 2 वर्ष पूर्व ही सांभर उपखंड के न्यायिक क्षेत्राधिकार को यहां से हटा कर एडीएम दूदू के अधीन किये जाने का अभिभाषक संघ की ओर से भारी विरोध किया गया था, क्षेत्र की जनता को मिले प्रबल समर्थन के परिणाम स्वरूप गहलोत सरकार को उक्त फैसले को वापस लेना पड़ा, लेकिन अभी तक वर्तमान सरकार ने भी सांभर उपखंड मुख्यालय पर एडीएम के दफ्तर को खुलवाने के लिए कोई संकेत नहीं दिए हैं।
यह बताना जरूरी है कि बार एसोसिएशन को अब तक आम जनता की ओर से मिले समर्थन के बावजूद भाजपा और कांग्रेस के सक्षम राजनेता चार दशकों से एडीएम का दफ्तर खुलवाने में कमजोर ही साबित हो रहे है जिसका सबसे बड़ा नुकसान पक्षकारों के साथ-साथ वकीलों को भी उठाना पड़ रहा है।
बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले बार एसोसिएशन सांभर के पूर्व अध्यक्ष शेख शमीम उल हक, पूर्व सचिव नरेंद्र कुमार शर्मा, लक्ष्मण सिंह खंगारोत, कालूसिंह खंगारोत, दीपेंद्र सिंह खंगारोत, सुरेश कुमार शर्मा, भागचंद सांभरिया, वीरेंद्र सिंह शेखावत, युगराज माथुर, राहुल वीर गुर्जर, दिव्यराजवीर गुर्जर सहित अनेक वकीलों के शिष्टमंडल ने तत्कालीन राजस्व मंत्री से मुलाकात भी की थी तथा इस आशय का एक प्रतिवेदन भी सौंपा गया था लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक इस ओर कोई सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं। इस मामले में यहां के वकीलों से बात करने पर बताया कि हमारी वर्षों पुरानी मांग आज भी पेंडिंग चल रही है, जिससे क्षेत्र को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। जनता का तो पूरा इस् साथ है लेकिन सरकार में अपनी गहरी पकड़ रखने वाले सक्षम लोग जब तक साथ नहीं लगेंगे, तब तक इस मांग का समाधान होना एक प्रकार से मुश्किल ही है।