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मनोहरपुर (जयपुर)। जहाँ अधिकांश लोग सुविधाओं की कमी में अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं, वहीं गोविन्दपुरा बासड़ी के एक बालक ने अपने साहस, संकल्प और आत्मबल से जीवन की सबसे कठिन परीक्षा को न केवल पास किया, बल्कि समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया। विवेक अटल – एक ऐसा नाम, जो अब केवल एक छात्र नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की मिसाल बन चुका है। दोनों हाथों के अभाव के बावजूद विवेक ने अपने पैरों से लेखन करके राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा में 74.33% अंक हासिल किए। यह किसी सामान्य उपलब्धि से कहीं बढ़कर है। विवेक की इस सफलता की खबर जैसे ही फैली, शाहपुरा विधायक मनीष यादव को लगी तो वे स्वयं गोविन्दपुरा बासड़ी पहुँचे। उन्होंने विवेक से भेंट कर उनकी उपलब्धियों को सराहा ओर घोषणा की।
मनीष यादव ने कहा कि विवेक अटल की आँखों में जो चमक है वो उसके उज्ज्वल भविष्य की गांरटी है। उसके संघर्ष को सम्मान देने और भविष्य को सुरक्षित करने हेतु यह संकल्प लिया कि विवेक की आगे की शिक्षा का संपूर्ण दायित्व स्वयं उठाऊँगा।
संघर्ष से संकल्प तक का सफर
विवेक का परिवार आर्थिक रूप से सीमित संसाधनों में जी रहा है। मगर माता-पिता ने कभी विवेक को उसकी शारीरिक स्थिति को कमजोरी मानने नहीं दिया। एक छोटे से गांव में रहने वाले इस बालक ने न केवल सामाजिक धारणाओं को चुनौती दी, बल्कि यह सिद्ध किया कि शारीरिक बाधाएं मनोबल को नहीं रोक सकतीं।