आतंक की पनाहगाह है पाकिस्तान – ज्ञानेन्द्र रावत

लेखक : ज्ञानेन्द्र रावत
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद जबाव में भारत की ओर से चलाये गये आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और लांच पैड सहित वायु सेना अड्डों की तबाही के बाद भी पाकिस्तान को अक्ल नहीं आयी है जबकि भारत के आपरेशन सिंदूर को दुनिया भर के नेताओं के समर्थन के बाद भले पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ गया हो, इसके बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। गौरतलब है कि आपरेशन सिंदूर के बाद ब्रिटेन, फ्रांस, इजरायल, नीदरलैंड, ईरान, अफगानिस्तान,जर्मनी, जापान, पनामा, इटली, डेनमार्क, सिंगापुर, कतर, कांगो, मालदीव, अंगोला, गुयाना, कोलंबिया और सियेरालोन आदि दुनिया के अधिकांश देशों ने भारत की आतंकवाद पर नाराजी जायज ठहराते हुए भारत की कार्यवाही का खुलकर समर्थन करते हुए पाकिस्तान पर अपनी सरजमीं पर आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने को कहा है लेकिन उसकी गतिविधियां इस बात की साक्षी हैं कि उसने आपरेशन सिंदूर के बाद भी कोई सबक नही सीखा है। हकीकत यह है कि आपरेशन सिंदूर ने वैश्विक स्तर पर एक मजबूत संकेत दिया है और उसने पाकिस्तान में आतंकी समूहों और सेना को सतर्क भी जरूर कर दिया है लेकिन चीन और तुर्किऐ का समर्थन एक चुनौती है। यह एक महत्त्वपूर्ण बाधा है। पाकिस्तान में आतंकी समूहों, सरकार और सेना, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई के गठजोड़ का जीता जागता सबूत है, 28 मई को लाहौर में हुयी आतंकियों की रैली जिसके मंच पर आतंकियों के फोटो के साथ लगा सेना प्रमुख मुनीर का फोटो जो अब फील्ड मार्शल हैं। यहां यह गौरतलब है 7 मई , आपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी खोह में छिपे बैठे थे। लेकिन 20 दिन बाद सेना के भरोसे कि पाकिस्तान में अब आतंकी सुरक्षित हैं और उनकी सुरक्षा का जिम्मा सेना का है, आतंकी खुले में सबके सामने आये और उन्होंने लाहौर में रैली भी की। खासियत यह रही कि इसमें स्थानीय सूबे के विधानसभा अध्यक्ष ने भी सहभागिता की। यहां यह कड़वी सच्चाई है कि रैली की सुरक्षा का जिम्मा पाकिस्तानी सेना ने बखूवी निबाहा और रैली में आतंकियों ने भारत को न केवल जमकर कोसा बल्कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को सबक सिखाने हेतु पाकिस्तानी जनता को खूब सब्जबाग भी दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। और तो और उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को सिंधु जल समझौते की बाबत खुली चुनौती दी। यहां विचारणीय यह है कि पाकिस्तान में आतंकियों का लाहौर में इस तरह खुलेआम रैली करना और उसकी सुरक्षा में पाकिस्तानी सेना की तैनाती क्या संदेश देती है? यह पाकिस्तान का आतंकियों की पनाहगाह होने का जीता जागता सबूत है। सच तो यह भी है कि आज के दौर में पाकिस्तान की 50 फीसदी से ज्यादा मस्जिदें आतंकियों का अड्डा बन चुकी हैं। अपनी पहचान से बचने के लिए इन मस्जिदों में लोगों को हमलों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। आज भी गुलाम जम्मू काश्मीर यानी पीओजेके और पूरे पाकिस्तान में कई आतंकी शिविर चल रहे हैं। इस बात का खुलासा नेशनल इक्वलिटी पार्टी फार जम्मू कश्मीर गिलगिट-बाल्टिस्तान एंड लद्दाख ( एन ई पी जे के जी बी एल ) के अध्यक्ष प्रोफेसर सज्जाद रज़ा ने किया है। उनके अनुसार भारत की कार्यवाही ने आतंकी समूहों और पाकिस्तानी सेना को अधिक सतर्क किया है। लेकिन इससे उनमें डर नहीं पैदा हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वहां सेना खुद नहीं मरती बल्कि वह मरने के लिए कठपुतलियों को भेजती है। यह सिलसिला थमा नहीं है,आज भी जारी है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में सेना, नीति, अर्थ व्यवस्था और समाज पर हावी है। पाकिस्तानी सेना वहां तक़रीबन 54 से ज्यादा वाणिज्यिक कंपनियां चलाती है। उसकी जब भी आंतरिक विश्वसनीयता कम या खत्म होने लगती है, वह भारत के साथ संघर्ष करती है। आतंकवाद का तो वह लगातार समर्थन करता ही आ रहा है। अब उसने फिर से खालिस्तान समर्थकों को शह देना शुरू कर दिया है। इसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई कनाडा में खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस ( एस एफ जे ) के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू व दूसरे खालिस्तान समर्थक आतंकियों की मदद ले रही है। भारत में पंजाब, हरियाणा समेत दूसरे राज्यों में खालिस्तान के प्रमुख चेहरों व उनके समर्थकों का सहयोग लेकर आईएसआई खालिस्तान समर्थक आतंकियों के नेटवर्क को फिर से सक्रिय कर आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की मुहिम में जोर-शोर से लगी है। इसमें आईएसआई की पंजाब, हरियाणा समेत दूसरे राज्यों में थानों, सेना व सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की योजना है। इस मुहिम को परवान चढ़ाने की खातिर फरार खालिस्तानी आतंकियों को फिर भारत बुलाया जा रहा है ताकि भारत में खालिस्तानी आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। उनका मकसद भारत में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी करना, हत्याएं कराना, समाज में वैमनस्य, भेदभाव पैदा करना व वसूली के साथ-साथ अस्थिरता फैलाना प्रमुख हैं। भारत विरोधी प्रचार, खालिस्तान अलगाववाद के नाम पर प्रदर्शन और इसकी आड़ में आतंक फैलाना इनका ट्रेंड बन गया है। ये सामाजिक और राजनैतिक आन्दोलन में शामिल होकर अपनी पैठ बनाने के साथ साथ चुनावी राजनीति में भी कामयाब होना चाहते हैं। इसी मकसद से पिछले लोकसभा चुनाव में दो खालिस्तान समर्थक चुनाव भी जीते। इसी मकसद से अमृत पाल अपनी अलग पार्टी बनाना चाहता है। यह सुरक्षा की दृष्टि से ख़तरनाक संकेत है । यह और अपने मकसद की कामयाबी की खातिर इन लोगों का गैंगस्टरों से गठजोड़ देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब भी है। इस साज़िश के तहत नाभा जेल ब्रेक का आरोपी और 10 लाख का इनामी आतंकी कश्मीर सिंह 9.साल बाद भारत लौटा और बिहार से गिरफ्तार हुआ, बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकी हैरी जो चंडीगढ़ में हमला करना चाहता था, मनीमाजरा से गिरफ्तार हुआ और अमृतपाल सहित कुलदीप सिंह नेहडूं ,चरमपंथी खालिस्तानी परमजीत सिंह उर्फ पम्मा आदि प्रमुख चेहरे हैं जिनका समर्थन-सहयोग लिया जा रहा है।
इसमें दो राय नहीं कि अधिकांश विश्व जनमत आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ हैं और उनका मानना है कि आतंकवाद समूची मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और आतंकवाद के खिलाफ भारत ने जो किया सही किया। सबसे महत्वपूर्ण यह कि पश्चिमी ताकतें और उनके तमाम नेताओं ने भारतीय कार्यवाही को उचित ठहराते हुए साफ-साफ शब्दों में कहा है कि भारत को आत्म रक्षा का पूरा अधिकार है और हम पूरी तरह भारत के साथ हैं। और यह कि किसी भी देश को आतंक की पनाहगाह नहीं बननी चाहिए। जबकि हकीकत है कि पाकिस्तान लम्बे समय तक आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह रहा है। देखा जाये तो ऐसी स्थिति में पाकिस्तान आतंकवाद के लिए प्रजनन स्थल बन गया है जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। वैश्विक देशों ने पाकिस्तान को यह नसीहत भी दी कि किसी भी देश को किसी दूसरे मुल्क पर हमला करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए। दुनिया के देशों की यह टिप्पणी इस बात का सबूत है कि अब उनको पाकिस्तान की हकीकत समझ में आ रही है और दुनिया के साथ भारत के रिश्ते नयी ऊंचाइयों पर हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि देश आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ निर्णायक कार्यवाही करने हेतु प्रतिबद्ध है और आतंक व आतंकियों का खात्मा हम करके ही रहेंगे। देश और विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद एकमत से और स्वत: स्फूर्त प्रदर्शनों के माध्यम से यह प्रमाणित कर दिया है कि देश में पाकिस्तान के लिए लेशमात्र भी समर्थन नहीं है। कारण देश ने पाक प्रायोजित आतंकवाद का बरसों दंश झेला है। पाकिस्तान ने पहले भी ऐसा किया है और वे रुकने वाले नहीं हैं। इसलिए अब इस नासूर का अंत बेहद ज़रूरी है। फिर नीदरलैंड जैसे अधिकांश देश कश्मीर पर भारत के रुख के पक्षधर हैं। नीदरलैंड ने तो यह साफ कर दिया है कि कश्मीर सौ फीसदी भारत का है। इसलिए अब पीओजेके वापस लेने का समय आ गया है और इसके लिए युद्ध ही एक विकल्प है।
(लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)

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