भारत के विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता विभागों की प्रगति

लेखक : रामजी लाल जांगिड
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विभिन्न मामलों के ज्ञाता
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वर्ष 1984 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भारत में पत्रकारिता और जन संचार शिक्षा की स्थिति के बारे में एक रपट प्रकाशित की थी। उसमें आज़ादी के बाद के 37वर्षों में इस क्षेत्र में हुई प्रगति का ब्यौरा दिया गया है। उसके अनुसार पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना ने कृषि पत्रकारिता, भाषा और संस्कृति विभाग की वर्ष 1970 में स्थापना की। इसका अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर को बनाया गया। इसे देश का ग्यारहवां पत्रकारिता विभाग कहा जा सकता है। अध्यक्ष अंग्रेजी का होगा तो माध्यम वही रहेगी। 1972 में हिन्दी में पत्रकारिता की शिक्षा और परीक्षा की व्यवस्था करने वाला दूसरा विश्वविद्यालय रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर था। यह व्यवस्था चंपादेवी जैन रात्रि कालेज ने शुरू की थी। यह निजी कालेज इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था। मगर इसे बारहवां पत्रकारिता विभाग कहना ठीक नहीं होगा। इसका पत्रकारिता विभाग बाद में बना। वर्ष 1972 में ही औरंगाबाद (महाराष्ट्र) स्थित मराठवाडा विश्वविद्यालय में मराठी में पत्रकारिता पढ़ाने
और मराठी में ही परीक्षा लेने वाला विभाग खुला।
वीर शिवाजी विश्व विद्यालय, कोल्हापुर के बाद पत्रकारिता की शिक्षा और परीक्षा की व्यवस्था मराठी में करने वाला यह महाराष्ट्र का दूसरा विश्वविद्यालय था। इसे देश का बारहवां पत्रकारिता विभाग कहा जा सकता है। महाराष्ट्र देश का ऐसा पहला राज्य वर्ष 1972 में ही बन गया था, जिसके चार विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता विभाग आज़ादी के बाद 25 वर्षों में बन गए थे। ये थे – नागपुर (1952), पूना (1964), कोल्हापुर (1968) और औरंगाबाद (1972)। इनमें से दो विश्वविद्यालयों में शिक्षा और परीक्षा का माध्यम मराठी थी और दो विश्वविद्यालयों में शिक्षा तथा परीक्षा अंग्रेजी में होती थी। हालांकि नागपुर विश्वविद्यालय में पढाई अंग्रेजी में होती थी। मगर परीक्षा के लिए छात्र तथा छात्राएं अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में से किसी एक को चुन सकती थीं। वर्ष 1952 से परीक्षा का माध्यम हिन्दी बनाने वाला पहला अहिन्दी भाषी राज्य महाराष्ट्र था। हिन्दी का अहिन्दी क्षेत्रों में प्रचार प्रसार करने वाली संस्था राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा (महाराष्ट्र) में है। देश का पहला अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय भी वर्धा में है।पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर (महाराष्ट्र) में हुआ था।

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