
जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। निकटवर्ती ग्राम पंचायत ताला की ऊंची डूँगरी पर विराजमान हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक हजरत बुर्रहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह का 4 दिवसीय वार्षिक मेला 17 अप्रेल गुरुवार को दरगाह के बुलन्द दरवाजे पर झंडे की रस्म के साथ मे विधिवत शुरू होगा जो कि 20 अप्रेल रविवार को कूल की रस्मे के साथ मे विधिवत सम्पन होगा।
उल्लेखनीय है कि हजरत बुर्रहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह ताला में आने से पूर्व अमरसर के इलाके में रहते थे।
वहा के शंकर लाल जांगिड़ ने बताया था कि वर्षों पूर्व नायन अमरसर के रेतीले टीलों में सुनसान बियाबान जंगल में बाबा ने अकेले बैठ कर के कठोर तपस्याए की थी। उन्होंने इस तपस्या के बल पर अपने खुदा को राजी किया था यहां आस – पास में रहने खाने और पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी बाबा का निजाम यह था कि खुदा की ईबादत बड़े ही तल्लीनता से करते थे और जो भी खुदा से दुआएं करते थे वो पूरी हो जाती थी जिसके परिणाम स्वरूप उनके पास अपने आप ही खाना आ जाया करता था। धीरे-धीरे बाबा की करामातें अन्य लोगों तक पहुंची इसके बाद कुछ लोग आना शुरू हो गए जब उन लोगों को लाभ पहुंचा तो उन लोगों ने गांव में बताए इस पर गांव के लोग भी वहां आए और चमत्कार देखे उसके बाद इनकी चमत्कार की कहानी घर घर तक पहुंची।
लोगों का कहना है कि यहां पर राजा हो या रंक सबकी तमन्नाए पूरी हुई है बाबा ने दुआ के वास्ते हाथ उठाकर के उनके हक में दुआएं मांगी और दुआएं तुरंत कबूल हो गई यह करामात बा दस्तूर आज भी जारी हैं।
आज भी गरीब हो या अमीर सब बाबा के दरबार में आते हैं चमत्कार देखते है जंगल में आकर बाबा के धूणे के पास बैठकर दुआ करने वाले सफल है।
जायरीनों ने बताया कि बाबा बुर्रहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के धूणे पर आज भी कई करामातें हो रही हैं! बाबा की दुआओं से मुक़द्दर संवर जाता हैं! बुर्रहान बाबा ने कठोर तपस्या के बल पर वह मुकाम हासिल कर लिया था जिसके लिए बड़ी-बड़ी हस्तियां भी तरस जाया करती है और बाबा ने मायूस लोगों की तमन्नाएं पूरी की है बाबा के दरबार पर रोते हुए आते थे और हंसते हुए जाते थे बाबा की नजर में कोई भेदभाव नही हैं सब को एक समान से देखते हैं।