
जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। चंदवाजी के हज़रत कुतुबशाह बाबा ने कठोर तपस्या के बल पे वो मुकाम हासिल कर लिया है जिसके लिए सब तरस्ते है। जंगलों में रहने खाने पीने की कोई भी व्यवस्था नही थी जानवरों का आतंक छाया हुआ था ऐसे दौर में भी हजरत कुतुबशाह बाबा ने तलीनता के साथ मे अपने ख़ुदा की इबादत की है।
ख़ुदा को राजी करने के बाद आज ये मंजर है कि जो भी जायरीन अगर बाबा के दर पर जाता है वो खाली हाथ नही आता है। इनकी करामातें सुन सुन कर आसपास ही नही दूर दराज से भी लोग यहां पर आकर हाजरी देते है।
एकल ने बताया कि वो बिना टिकिट लिए बस में सफर कर था था चंदवाजी में चेकिंग वाले मिल गए इस पर एकल डर गया और मन ही मन मे बाबा को याद करने लग गया थोड़ी देर में एकल के हाथ मे अपने आप ही टिकिट आगया और वो बच गया।
विजय सैनी ने बताया कि वो किसी के रुपए मांगता था लेकिन वो आनाकानी करके काफी समय गुजार दिया था इस पर वो बाबा के दर पर जाकर दुआएं की और रुपए मांगने गया तो बाबा की दुआ से तुरन्त रुपए दे दिए।
कालूराम ने बताया कि उनके पूर्वजों में किसी के औलाद नही होती थी डॉक्टरों ने भी मना कर दिया था इस पर वो बाबा के दर पर जाकर बैठ गया तीसरी रात में बाबा की आवाज आई कि क्या चाहता है उस पर फरियादी ने कहा कि औलाद चाहिए इस पर बाबा ने कहा कि पहली औलाद तो होगी लेकिन वो मर जाएगी फरियादी ने कहा कि मुझे तो औलाद चाहिए फिर बाबा की आवाज आई जा उसके बाद फिर तेरे औलाद होगी और तेरा वंश चलेगा आज उनका लम्बा चौड़ा परिवार मजे में है।
आज जिधर देखो उधर ही हाथों में झंडे लेकर बाबा के गुणगान करते हुए हिन्दू मुस्लिम जायरीन आते हुए दिखाई दे रहे है ये इस बात का पक्का सबूत है बाबा की दुआओं से इनकी मनोकामनाए पूरी हो चुकी है।