सरोवर में हजारों श्रद्धालुओं ने आचमन कर मां देवयानी के दर्शन किए

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शैलेश माथुर की रिपोर्ट
www.daylifenews.in
सांभरझील। बुद्ध पूर्णिमा पर हर वर्ष की भांति सभी तीर्थों की नानी देवयानी सरोवर पर वार्षिक मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। सुबह से ही सैकड़ो की संख्या में सरोवर के तट पर श्रद्धालुओं का तांता लग रहा। मंदिरों के घाट पर बैठकर महिला श्रद्धालुओं ने आचमन किया और सरोवर की पूजा अर्चना भी की। इसके बाद देवयानी मंदिर में जाकर दर्शन किए तथा परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। सरवर के घाट पर स्थित गणेश मंदिर, गंगा माता मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधा गोविंद मंदिर, जागेश्वर दरबार, बड़के बालाजी मंदिर में भी दर्शन करने के लिए श्रद्धालु उमड़े। मंदिर के पुजारी ने आने वाले श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना करवाई तथा उन्हें प्रसाद वितरित किया। मेले की आयोजन को लेकर अनेक लोगों ने आधा किलोमीटर पहले ही शीतल जल, केरी की छाछ, व शरबत का इंतजाम किया तथा आने वाले लोगों को उपलब्ध करवाया। पालिका प्रशासन की ओर से मेले में इस बार परिक्रमा स्थल/मंदिरों के बाहर किसी को भी स्टॉल, थड़ी नहीं लगाने की इजाजत नहीं दी तथा पालिका की ओर से ग्राउंड के अंदर इन सभी को परमिशन दी गई। इस मामले में यहां के लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि ग्राउंड के अंदर ही झूले, चाट पकौड़ी, कुल्फी, पतासी, शरबत व अन्य फुटपाथी सामान बेचने वाले को बैठना कुछ अच्छा नहीं लगा, क्योंकि स्थानीय लोग जो मेला देखने के लिए आते हैं वह सब ग्राउंड में ही इकट्ठा हो गए, अधिकांश लोग तो यही से एंजॉय करके ही वापस लौट गए, दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की वजह से जरूर मंदिरों में रौनक रही। दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि एक प्रकार से व्यवस्था ठीक भी है जिसको भी चाट पकौड़ी खानी हो, झूला झूलना हो वह ग्राउंड में आ जाए और मेले का आनंद लेकर जिसको दर्शन करने हो वह दर्शन करके चला जाए। है। कुछ लोगों का कहना है कि यदि ग्राउंड में ही आकर चाट पकौड़ी खानी होती तो कहीं खा लेते इससे वास्तविक मेले का जो दृश्य उत्पन्न होता है वह तो बिल्कुल भी नहीं हुआ।

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