
आरटीआई में सूचना उपलब्ध नहीं करने का प्रकरण
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। सांभर के अधिवक्ता योगेश कुमार शुक्ला की ओर से जनहित के मद्देनजर एवं निजी जानकारी हेतु मांगी गई आरटीआई में सूचना देने में भी नगर पालिका को किस प्रकार से गुरेज है इसका जीता जागता एक और उदाहरण सामने आया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी सूचना में अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं से पालिका प्रशासन इतना घबराया हुआ है कि सूचना देने में जानबूझकर विलंब ही नहीं अपितु टालमटोल भी किया जा रहा है। इस कृत्य से परेशान होकर अधिवक्ता की ओर से राज्य लोक सूचना आयोग के समक्ष अपील पेश कर लोक सूचना अधिकारी अधिशाषी अधिकारी से सूचना दिए जाने हेतु अनुरोध किया गया। अपील पर मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मांगी गई सूचना निश्चित अवधि में उपलब्ध करवाने की सुनिश्चितता करते हुए राज्य सूचना आयोग नोटिस के जरिये प्रत्यर्थी को निर्देशित किया है कि द्वितीय अपील का बिंदुवार अपीलोतर 21 दिन में आयोग को प्रेषित करे एक प्रति अपीलार्थी को रजिस्टर्ड डाक से भी भिजवाई जाए। इस मामले में राज्य सूचना आयोग की ओर से व्यक्तिगत उपस्थित होने अथवा प्रतिनिधि के माध्यम से दस्तावेजों के साथ अनुपस्थित रहने पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एक पक्षीय निर्णय लेने व अधिनियम 2005 की धारा 20 में दण्डित किये जाने का प्रावधान का भी उल्लेख किया गया है,आरटीआई कार्यकर्ता योगेश कुमार शुक्ला ने बताया कि उनके द्वारा नगर पालिका से जमीनों के रिकार्ड के लिए रजिस्टर के अवलोकन के पश्चात प्रमाणित प्रति, जारी किये गये पट्टो की खास जानकारी तथा सन 1925 से सन 2023 तक यदि किसी व्यक्ति विशेष की ओर से देवयानी तीर्थ पर श्री गिरिधर गोपाल जी मंदिर के सामने स्थित पुश्तैनी जायदाद श्री गिरिधर वाटिका के बाबत नोटिस व शिकायत की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन निश्चित अवधि में नहीं देने के कारण मुझे यह दूसरी अपील पेश करनी पड़ी है।