
गर्भवती महिलाओं की अस्पताल में नहीं हो रही सोनोग्राफी
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। यहां उप जिला अस्पताल में 25 लाख रुपए की सोनोग्राफी मशीन होने के बावजूद गर्भवती महिलाओं व अनेक मरीजों की जांच का इंतजाम आज तक नहीं हो सका है। अस्पताल प्रशासन की ओर से इस मशीन को नये ओपीडी भवन के कमरे में ताला लगा कर रखा हुआ है। वर्ष 2002 में भी इस अस्पताल को सोनोग्राफी मशीन आवंटन हुई लेकिन वापस हेल्थ डिपार्टमेंट को इसलिए लौटनी पड़ी, क्योंकि उनके पास योग्य चिकित्सक नहीं था या फिर बाहरी दबाव के कारण ऐसा करना भी बताया जा रहा है। यहां पर ओपीडी का आंकड़ा 1000 के आसपास या इससे अधिक ही हो जाता है। इनमें से करीब 40 से 50 मरीजों की जांच सोनोग्राफी से करने के लिए लिखा जाता है, ऐसा बताया जा रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा आसपास के गांवों से आने वाले डिलीवरी पेशेंट के परिजनों को उठानी पड रही है, बाहर प्राइवेट सेंटर पर जांच करने के लिए भारी आर्थिक बोझ झेल रहे है जबकि उनके आर्थिक हालात ऐसे नहीं होते है। लोगों का कहना है कि जब अस्पताल प्रशासन अन्य कार्यों के लिए संविदा पर तकनीकी कार्मिकों को कई सालों से नियुक्ति दे रखी है तो फिर सोनोलॉजिस्ट की पोष्ट के लिए इस प्रकार की कवायद क्यों नहीं की जा रही है, अनेक लोगों से बात की गई तो बताया कि राजनीतिक अथवा मिली भगत के कारण आज तक सोनोग्राफी मशीन क्रियाशील नहीं हो सकी है। राजनीतिक ढिलाई के कारण यहां पर पहले सोनोग्राफी की मशीन टाइम पर नहीं आ सकी और चार माह लगातार इंतजार के बाद भी जब मशीन नहीं आई तो बताया जा रहा है कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने यहां से सोनोलॉजिस्ट का ट्रांसफर ही करवा दिया और जैसे ही ट्रांसफर हुआ कुछ समय पश्चात सोनोग्राफी की मशीन आ गई, लेकिन अब सोनोलॉजिस्ट नहीं है, लोगों का कहना है कि यह सांभर का दुर्भाग्य है।