विधायक की मांग पर संजय स्मृति वन के लिए 13 करोड की घोषणा

विधायक मनीष यादव के प्रयास लाए रंग
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शाहपुरा। वन विभाग की अनुदान मांगों पर संजय स्मृति वन के लिए सरकार ने 13 करोड रूपये की घोषणा की। गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने गत दिवस वन विभाग की अनुदान मांगों पर सदन में पुरजोर तरीके से मांग उठाई थी।
विधायक यादव ने कहां कि एनएच 48 पर शाहपुरा व विराटनगर क्षेत्र का पर्यटक स्थल संजय स्मृति वन स्थित है। वन की स्थापना 2 अक्टूबर 1980 को हुई थी। स्मृति वन को करीब 1 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया था। स्मृति वन तकरीबन 40 हेक्टेयर भूमि में फैला
हुआ है। यह स्मृति वन स्थापना के समय चहुँओर हरियाली से आच्छादित व चीतल तथा बतखों से आबाद पर्यटक स्थल था। इसमें पर्यटकों को आकर्षित करनें के लिए गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट व झोंपड़े बनाये गये थे तथा विभिन्न प्रकार के वन्य जीव भी लाये गये थे। हरियाली के लिए दर्जनों किस्म के पेड़-पौधे लगाये गये थे तथा स्मृति वन की देखभाल के लिए स्वीकृत सम्पूर्ण स्टाफ लगाया था।
वन को विकसित करने के दौरान यहाँ चार कुओं का निर्माण कार्य करवाया गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग व दूर दराज से आने वाले पर्यटक यहाँ समय व्यतीत कर आनंदित होते थे। लेकिन धीरे धीरे यह वन बजट व उपेक्षा के चलते स्मृति वन वीरान हो गया। यहाँ के चीतलों को कोटा के मुकुन्दरा वन्य अभ्यारण व बतखों को जयपुर भेज दिया गया है। वर्तमान में यहाँ मात्र 2 चीतल है तथा कुओं का जलस्तर गिरने से कुएं सूख गए है तथा जिन ट्यूबवेल का निर्माण करवाया गया था उनमे प्रयाप्त जल प्राप्त नहीं हुआ तथा प्राप्त जल खारा है। सिचाई नहीं होने से पेड़-पौधे सूख गए हैं तथा स्मृति वन वीरान हो चुका है। स्मृति वन में बने हुए गेस्ट हाउस व रेस्टोरेंट भवन जर्जर अवस्था में पड़े हुए हैं जिनकी निर्माण के बाद आज तक एक बार भी मरमत नहीं हो पाई है। स्मृति वन की चारदीवारी जर्जर हो चुकी है तथा जगह-जगह टूटी पड़ी है।
विधायक यादव ने कहा कि संजय स्मृति वन के आस-पास हजारों की संख्या में बंदर रहते है जो वन तथा आस-पास के ग्रामीणों की खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा देते है। इसलिए वन के पुर्नद्वार के साथ बंदरों का पुनर्वास किया जाना भी नितांत आवश्यक है।
विधायक के प्रयास
विधायक यादव ने कहा कि जिस दिन मेरे क्षेत्र की जनता ने मुझें सदन में चुन कर भेजा था उस दिन से मै लगातार संजय स्मृति वन के पुर्नद्वार के लिए प्रयासरत था। विधानसभा के प्रथम सत्र के दौरान 29 जनवरी 2024 को संजय स्मृति वन के पुर्नद्धार व विकसित करने को लेकर वनमंत्री संजय शर्मा को व्यक्तिगत मिलकर अवगत करवाया था। विधायक के पत्र पर मंत्री ने सकारात्मक आश्वासन देते हुए 7 दिवस में वन की जांच रिपोर्ट मांगी जिस पर 30 अप्रेल 2024 को इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी। गौरतलब है कि विधायक के पत्र के संदर्भ में वन विभाग द्वारा वन के पुर्नद्वार के लिए डीपीआर का काम शुरू हो गया था। उसके बाद विधायक द्वारा पुनः द्वितीय सत्र में दिनांक 29 जुलाई 2024 को तारांकित प्रश्न व मांगों पर चर्चा के दौरान सरकार का ध्यान आकर्षित किया कि स्मृति वन की डीपीआर शीघ्र तैयार की जाकर पुर्नद्वारा किया जावे। गौरतलब है कि विधायक द्वारा गत दिवस वन की अनुदान मांगों पर पर भी स्मृति वन का पुर्नद्वार तथा विकसित करनें के लिए पुरजोर तरीके से मांग की गई थी। जिस पर वन मंत्री संजय शर्मा ने स्मृति वन के लिए 13 करोड रूपयें की राशि से वन के पुर्नद्वार के लिए घोषणा की तथा संजय स्मृति वन का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर अटल वन कर दिया ।
13 करोड की राशि से विकसित होगा संजय स्मृति वन
गौरतलब है कि सरकार द्वारा वन के लिए 13 करोड की राशि से वन का जीर्णोदार व पुर्नद्वार होगा जिससें संजय स्मृति वन में चहुँओर हरियाली से आच्छादित व चीतल तथा बतखों से आबाद होगा। तथा पर्यटकों को आकर्षित करनें के लिए गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट व झोंपड़े का रिनोवेशन होगा व विभिन्न प्रकार के वन्य जीव भी लाए जायेगे साथ ही हरियाली के लिए दर्जनों किस्म के पेड़-पौधे लगाये गये जायेगें। स्मृति वन में पहलें की तरह चीतल व बतखों की आहट होगी। वन की चारदिवारी का कार्य होगा तथा साथ ही यहां रहने वालें हजारों बंदरों का पुर्नवास भी किया जायेगा।
विधायक का कहना है
मैने पहले दिन से विधानसभा में मजबूत पैरवी करते हुए इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया मेरे आधिकारिक पत्र पर इसकी डीपीआर के आदेश हुए, फिर द्वितीय संत्र में मैंने तारांकित प्रश्न लगाकर इसकी प्रगति पूछी।
संजय स्मृति वन को विकसित करना इनकी मजबूरी थी। नाम परिवनर्तन करके भाजपा ने केवल अपना तडका देने का काम किया है, जबकि अटल जी अजात शत्रु थे, वो कभी नही चाहते होंगे, कि किसी अन्य शख्सियत का नाम बदलकर उनके नाम किया जाए। यह तो अपनें आप में अटल जी का भी अपमान है, इसका अंदेशा मुझे पूर्व में था, इसलिए मैंने स्पष्ट रूप से सदन में इस बात का जिक कल कर दिया था। महत्वपूर्ण बात मेरा प्रयास आम जनता के हित में था जो सफल रहा 25 वर्षों से उजडा वन अब पुनर्जीवित होगा-विधायक मनीष यादव

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